सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट की चुप्पी, क्या है पूरा मामला

शीर्ष अदालत ने सबरीमला मामले में पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है। केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर पांच सदस्यीय संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए करीब 48 याचिकाएं दायर की गई हैं। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद केरल में इसके पक्ष और विरोध में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन हुए हैं।

सबरीमाला मंदिर
नोटिस के अनुसार प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शामिल हैं। चलिए जानते हैं इस मामले से जुड़ी बड़ी बातें:
न्यायालय ने जब उसके रूख में बदलाव का जिक्र किया तो बोर्ड के वकील ने कहा कि अब उसने फैसले का सम्मान करने का निर्णय किया है।

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सबरीमाला मंदिर का संचालन करने वाले त्रावणकोर देवस्वओम बोर्ड ने मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले का समर्थन किया है।
नायर सर्विस सोसायटी की ओर से पेश वकील के. पराशरन ने पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष दलीलें रखनी शुरू कर दी हैं।
वकील पराशरन ने सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले फैसले को रद्द करने की मांग की है।
केरल सरकार: सबरीमाला प्रकरण पुनर्विचार याचिकाओं के माध्यम से फिर से नहीं खोला जा सकता।

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सबरीमला सार्वजनिक व्यवस्था का मुद्दा है, इसे संवैधानिक वैधता की परीक्षा में खरा उतरना होगा। केरल सरकार ने न्यायालय में कहा।
राज्य सरकार ने कहा कि अस्पर्श्यता या किसी अन्य आधार पर चुनौती से फैसला प्रभावित नहीं होगा।
बीते साल सितंबर माह में 4-1 से सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि 10-50 आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोका न जाए। अब ये महिलाएं मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं।

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