सपा के इस नेता को संभावित सीट ना मिलने से खफा, अब चुनाव होगा और भी दिलचस्प

लगाए बैठे थे आस, पर सीट ना आई पास, कुछ ऐसा ही कहना है सपा से चुनाव लड़ने वाले संभावित दावेदारों का। सपा-बसपा गठबंधन में गाजीपुर लोकसभा की सीट बसपा के खाते में जाने से सबसे बड़ा झटका समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ने वाले संभावित दावेदारों को लगा है। अब यह तय हो गया है कि गाजीपुर का आगामी लोकसभा का चुनाव कई वर्षों बाद भाजपा और बसपा के बीच ही होगा और यह काफी दिलचस्प होने वाला है। देखें आगे की स्लाइड्स में…

सपा

गाजीपुर लोकसभा की सीट पूर्वांचल में काफी चर्चित सीट हो गई है। वजह यहां से वर्ष 2014 के चुनाव में निर्वाचित मनोज सिन्हा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में संचार-रेल राज्यमंत्री रहते हुए जिले का काफी विकास किया। यही नहीं वह प्रधानमंत्री मोदी के काफी करीबी माने जाने वालों में शुमार हो गए हैं।

आगामी चुनाव जिले के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गया है। पिछले कई चुनाव पर नजर डाली जाए तो गाजीपुर लोकसभा सीट पर सपा का दबदबा रहा है।

समाजवादी पार्टी से अब तक ओमप्रकाश सिंह, राधेमोहन सिंह एवं अफजाल अंसारी चुनाव जीतकर सपा का परचम लहराने में सफल रहे हैं। लोकसभा चुनाव में अफजाल अंसारी केवल समाजवादी पार्टी के टिकट पर ही चुनाव जीतने में सफल रहे हैं।

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वर्ष 2004 के चुनाव में सपा से अफजाल अंसारी ने मनोज सिन्हा को हराकर लोकसभा में प्रवेश किया था।

इसके बाद अफजाल अंसारी ने 2009 में बसपा एवं 2014 में कौमी एकता दल से चुनाव लड़ा लेकिन उनको सफलता हाथ नहीं लगी। आगामी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से संचार-रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा के सामने सपा-बसपा गठबंधन से अफजाल अंसारी के आने की चर्चा है।

चर्चाओं के अनुसार अगर मनोज सिन्हा और अफजाल अंसारी के बीच चुनावी जंग होती है तो जिले में लोकसभा का चुनाव काफी दिलचस्प होगा। वजह अपने विकास के बल पर मनोज सिन्हा ने जनता के बीच जो पैठ बनाई है उसको भुनाने का पूरा प्रयास करेंगे। वहीं दूसरी तरफ सपा-बसपा गठबंधन का प्रत्याशी अपने जातीय समीकरणों के अनुसार चुनाव को संघर्षपूर्ण बनाने में एड़ी चोटी एक कर देंगे।

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