जरा संभलकर जनाब! कहीं हाथ मिलाना पड़ न जाए भारी

आज के मॉडर्न समय में हाथ जोड़कर एक-दूसरे को नमस्कार करना जेसे आउट ऑफ फैशन सा माना जाने लगा है. युवा पीढ़ी तो अपने दोस्तों या परिचितों से मिलने की खुशी  हैण्ड-शेक के जरिये ही जाहिर कर देती है. शास्त्रों के अनुसार परिचितों से मिलने की खुशी जाहिर करने का नमस्कार से बेहतर कोई तरीका ही नहीं है.

बुजुर्गो ने साफ-साफ बताया है की बड़ों से दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करने में जो आनंद है वो और किसी तरीके में नही.

सही तरीके से नमस्कार करना मॉडर्न युग में आउटडेटेड सा लगे पर शास्त्रों द्वारा इन्हें व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान दिया नमस्कार करनागया हैं.

अपनी उम्र से बड़े सज्जनों को नमस्कार करने से हमारे आंतरिक गुणों और आदर्शों में वृद्धि होती है. जिसके परिणाम के रूप में व्यक्ति के भीतर नम्रता का भाव उत्पन होता है.

नमस्कार करने से व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिक विकास होता है और लोगों के प्रति व्यवहार में शालीनता आती है.

कई जानकारों का कहना है जब दो लोग आपस में हाथ मिलाते हैं तो उनके शरीर की तरंगें एक-दूसरे की अंगुलियों में बस सी जाती हैं.

वहीं अगर दोनों व्यक्तियों में से अगर किसी के शरीर में विपरीत तरंगें मौजूद हैं तो वह भी एक दूसरे के शरीर में प्रवेश कर जाती हैं.

समय के साथ साथ शिष्टाचार की परंपरा में भी परिवर्तन आ रहा है. पहले लोग हाथ जोड़कर नमस्कार औऱ पैर छूकर प्रणाम करने की परंपरा को अपनाते थे और इनसे व्यकित के गुणों का विकास भी होता था.

वहीं आज के युग में इनसे ऊपर उठकर लोग हाथ मिलाने की परंपरा को ज्यादा महत्व देते हैं. ऐसे में व्यक्ति के गुणों का एक दूसरे में प्रवेश करना आसान हो जाता है.

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