SC में शिक्षामित्रों की सुनवाई पूरी फिर भी भविष्य अधर में, दो लाख नजरें कर रहीं तारीख का इंतजार

शिक्षामित्रों का भविष्यनई दिल्ली। यूपी के करीब पौने दो लाख शिक्षामित्रों का भविष्य अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आने का इंतजार कर रहा है। सभी का भविष्य मौजूदा वक्त में अधर में लटका हुआ है। इस मामले में बुधवार को कोर्ट में सुनवाई हुई। जिसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 5 मई तक स्थगित कर दी है।

शिक्षामित्रों का भविष्य

यूपी के पौने दो लाख शिक्षामित्रों के समायोजन के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान रामजेठमलानी ने शिक्षामित्रों की तरफ से पक्ष रखा। जिसमें उन्होंने पंचायतराज एक्ट को कोट करते हुए अपना पक्ष रखा।

हालांकि इस मामले में आज सुनवाई पूरी हो चुकी है। जिसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 5 मई तक स्थगित कर दी है। कोर्ट में अगली सुनवाई अब 5 मई दोपहर 2 बजे की जायेगी।

गौरतलब हो की शिक्षामित्रों के समायोजन को HC की तरफ से अवैध ठहरा गया था। बाद में सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि यूपी में शिक्षण कार्य कर रहे पौने दो लाख शिक्षामित्रों को हटाकर उन्हें नए सिरे से भर्ती करने का आदेश दिया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि नई भर्ती होने तक मौजूदा शैक्षणिक सत्र तक शिक्षामित्रों को कार्य करने दिया जाएगा और जैसे ही नई भर्ती संपन्न होगी उन्हें उससे बदल दिया जाएगा।

जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की पीठ ने मंगलवार को ये टिप्पणियां तब की जब यूपी के एएजी अजय कुमार मिश्रा और नलिन कोहली ने कहा कि यदि सर्वोच्च अदालत हाईकोर्ट के फैसले को कोर्ट सही मान रही है तो हमारे पास कहने के लिए कुछ नहीं है।

उनका कहना है कि हम 22 सालों से काम कर रहे पौने दो लाख लोगों का क्या करेंगे। कोर्ट ने कहा कि इसका समाधान हम बताएंगे।

पीठ ने कहा कि आप छह माह के अंदर नई भर्ती कीजिए। इस भर्ती को दिसंबर तक पूरा कीजिए। ऑनलाइन आवदेन सिस्टम से यह संभव है। इसके बाद अगले वर्ष मार्च तक नियुक्तियां कीजिए। तब तक शिक्षामित्रों को अध्यापन करने दीजिए।

उन्हें इस भर्ती में बैठने का पूरा अधिकार होगा, उनके लिए उम्रसीमा का बंधन नहीं होगा, क्योंकि वह पहले से पढ़ा रहे हैं।

जहां तक उन्हें दी जाने वाली वरिष्ठता का सवाल है तो यूपी सरकार नियम बनाकर उसे तय कर सकती है। इसमें कोई समस्या नहीं है।

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