शास्त्रों और पुराणों से खुला रहस्य, नहीं ग्रहण करना चाहिए किन्नर के घर भोजन, नहीं तो…

शास्त्रों और पुराणोंकहते हैं कि समय और अन्न पर किसी का अधिकार नहीं. समय लगातार अपनी एक गति के साथ आगे बढ़ता रहता है और अन्न के बिना जीवन संभव नहीं है. चूँकि अन्न हमारे जीवन के लिए सबसे ज़रूरी चीज है इसलिए इसका शुद्ध होना भी बेहद ज़रूरी है. अन्न यानी भोजन की शुद्धता को हमारे शास्त्रों और पुराणों में बेहद प्रभावपूर्ण बताया गया है.

गरुण पुराण के अनुसार कई स्थान और लोग ऐसे हैं जिनके घर का भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए. क्योंकि इन जगहों और लोगों के घर का भोजन अशुद्ध होता है. इसे ग्रहण करने से चरित्र और मस्तिष्क संक्रमण की ओर बढ़ जाता है.

धर्म-ग्रंथों में किन्नरों के घर भोजन करना अशुभ माना गया है. अक्सर हमारे मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर ऐसा क्यों कहा गया है. इसलिए आज हम आपको इसका उत्तर बताएंगे.

शास्त्रों में दान करना शुभ बताया गया है. परन्तु किन्नरों को अच्छा-बुरा, हर प्रकार का व्यक्ति अपनी इच्छा से दान-पुण्य करता है. जिससे यह पता लगाना मुश्किल होता है कि जिस भोजन को ग्रहण किया जा रहा है वह किसी अच्छे आचरण वाले का है या किसी पाप के भागी का है. यही कारण है कि किन्नरों के घर भोजन नहीं करना चाहिए.

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