‘विपक्ष ईवीएम का मुद्दा निर्वाचन आयोग और जनता के बीच ले जाएगा’

नई दिल्ली। विपक्षी नेताओं ने मंगलवार को कहा कि वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान की संख्या बढ़ाने की उनकी मांग सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद वे इस मुद्दे को निर्वाचन आयोग और जनता के बीच ले जाएंगे।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि उनकी याचिका का मकसद लोकतंत्र में ‘पारदर्शिता’ लाना था।

अदालत के फैसले के बाद उन्होंने यहां सवाददाताओं से कहा, “हम जो कह रहे हैं, वह उचित मांग है। इसके लिए हम देश की तरफ से लड़ रहे हैं।”

नायडू ने कहा कि विपक्षी पार्टियां निर्वाचन आयोग से फिर संपर्क करेंगी।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने चल रहे लोकसभा चुनाव में वेरिफिकेशन ऑफ वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट (वीवीपैट) पर्चियों के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से मिलान की संख्या बढ़ाने के आदेश देने से इनकार कर दिया।

शीर्ष अदालत ने इससे पहले, चुनाव प्रक्रिया में काफी हद तक परिशुद्धता लाने और संतुष्टि के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में चुनिंदा पांच ईवीएम के वीवीपैट पर्चियों से मिलान की संख्या बढ़ाने के आदेश दिए थे।

अदालत शुक्रवार को 50 फीसदी ईवीएम के वीवीपैट पर्चियों से मिलान की संख्या बढ़ाने की मांग वाली 21 विपक्षी पार्टियों की समीक्षा याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई थी।

मंगलवार को आए अदालत के फैसले पर टिप्पणी करते हुए जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कान्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हर राजनीतिक दल के लिए चुनाव निष्पक्ष होना चाहिए और ईवीएम का मुद्दा अब लोगों के बीच ले जाया जाएगा।

उन्होंने कहा, “हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं। लेकिन हम इसे देश की जनता के पास ले जाएंगे और उनके सामने रखेंगे, क्योंकि वे सबसे ऊपर हैं।”

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कांग्रेस नेता व विपक्षी नेताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत के समक्ष दलील दी कि नेताओं की मांग साध्य, विश्वसनीय और अर्थपूर्ण है।

बाद में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाना एक विकल्प है और निर्वाचन आयोग से संपर्क करने का रास्ता अभी भी खुला है।

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