विनायक चतुर्थीः विघ्नहर्ता मंगलकर्ता बप्पा की ऐसे करें पूजा और उपवास

आज विनायक चतुर्थी है. सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूज्‍यनीय भगवान गणेश की पूजा हमेशा फलदायी होती है. लेकिन विनायक चतुर्थी को विधि-विधान से पूजन व उपवास फलदायी होता है.

विनायक चतुर्थी

हिन्दु कैलेण्डर के मुताबिक, अमावस्या के बाद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. विनायक चतुर्थी के दिन उपवास भी रखा जाता है. जो लोग पूरा दिन व्रत रखने में असमर्थ हैं वह गणेश जी की पूजा के बाद अन्‍न ग्रहण कर सकते हैं.

विनायक चतुर्थी के दिन दोपहर को मध्याह्न काल में पूजा करना शुभ माना जाता है. गणेश जी के सामने हाथ जोड़कर विनायक चतुर्थी का व्रत करने का संकल्‍प लें. इसके बाद मध्याह्न काल में एक पाटे पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा को स्‍थापित करें. इसके बाद कलश स्‍थापित कर विधिविधान से पूजा करें व कथा पढ़ें. गणेश जी को मोदक का भोग लगाकर आरती आदि करें.

विनायक चतुर्थी की पूजा करते समय गणेश जी के इन 10 नामों को पढ़ते हुए 21 दुर्वा उन पर जरूर चढ़ानी चाहि‍ए. ऊं गणाधिपाय नम, ऊं उमापुत्राय नम, ऊं विघ्ननाशनाय नम, ऊं विनायकाय नम, ऊं ईशपुत्राय नम, ऊं सर्वसिद्धिप्रदाय नम, ऊं एकदंताय नम, ऊं इभवक्ताय नम, ऊं मूषकवाहनाय नम, ऊं कुमारगुरवे नम. इससे गणेश जी अपने भक्‍तों को आशीर्वाद देते हैं. भक्‍तों के कष्‍टों को दूर कर उनके जीवन में खुशियां भरते हैं.

 

 

 

 

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