वायु प्रदूषण बीमारी के साथ-साथ लोगों के स्वभाव  को भी कर रहा है प्रभावित

आजकल प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. नई पीढ़ी के लोग खासतौर पर ज्यादा निराशा होते जा रहे हैं. वायु प्रदूषण का युवा पीढ़ी के दिल और दिमाग दोनों पर पड़ा है. एक सर्वे में इस बात की पुष्टि भी हो गई है.

वायु प्रदूषण

इसके अनुसार प्रदूषण का असर केवल स्वास्थ्य पर ही नहीं हो रहा बल्कि यह किशोरों में चिंताजनक मानसिक स्थितियां पैदा का रहा है। अध्ययनकर्ता जोनस जी मिलर के अनुसार पहले से तनाव से गुजर रहे किशोरों को प्रदूषण स्थितियां और बिगाड़ रहा है। अध्ययन के दौरान किशोरों को शारीरिक व मानसिक परीक्षण से गुजारा गया, उनके हृदय की गति और त्वचा की इलेक्ट्रोडर्मल गतिविधि को मापा गया। उनके रहन-सहन और स्वभाव को लेकर कई प्रश्न भी किए गए। जिन जगहों पर वे रह रहे हैं, वहां के पीएम 2.5 प्रदूषक तत्व के स्तर का रिकॉर्ड अध्ययन में शामिल किया गया।

सामने आया असर

– वे जगहें जहां पीएम2.5 का स्तर अधिक है, इनमें रह रहे किशोरों में नकारात्मक मानसिक स्थितियां अधिक मिली।
– उनमें चिंता और अवसाद के लक्षण अधिक थे।
– सामाजिक व्यवहार और स्वभाव के मामले में भी वे अधिक असंतुलित मिले।

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नाकारात्मक असर

निष्कर्ष में कहा गया कि किशोरों के बढ़ते हुए शरीर और सेहत पर वायु प्रदूषण नकारात्मक असर डाल रहा है। इसकी वजह से उनकी शारीरिक के साथ-साथ मानसिक वृद्धि को भी नुकसान हो रहा है।

और सिफारिशें

– पीएम 2.5 प्रदूषण से किशोरों को बचाने के लिए विशेष जोर दिया जाना चाहिए।
– पहले से अवसाद से गुजर रहे इस उम्र के किशोरों को प्रदूषित स्थानों से दूर रखने का प्रयास किया जाना चाहिए।
– किशोरों के स्वास्थ्य और शिक्षण से संबधित नीतियां बनाते समय प्रदूषण से जुड़े तथ्यों का ध्यान रखा जाना चाहिए।

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भारत के लिए चेतावनी

एक ओर जहां भारत किशोरों और युवाओं की संख्या के मामले में विश्व का सबसे बड़ा देश माना जा रहा है, वहीं समय-समय पर जारी वायु प्रदूषण के आंकड़ों के अनुसार विश्व के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में हमारे 10 से 13 शहर तक शामिल होते हैं। हमारी नई पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य पर यह वायु प्रदूषण नकारात्मक प्रभाव दिखा सकती है।

 

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