लखनऊ का रेजीडेंसी जहां आज भी जिंदा हैं 1857 विद्रोह की यादें

लखनऊ का रेजीडेंसीउत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है (जैसा कि नाम से स्पष्ट है)। भारतीय राजनीति में उत्तर प्रदेश का हमेशा दबदबा रहा है। 1947 में मिली आजादी के बाद से अब तक यह प्रदेश देश को कुल 10 में से सात प्रधानमंत्री दे चुका है। उत्तर प्रदेश की इस अति-प्राचीन धरती पर अनेक संस्कृतियां और परंपराएं पली-बढ़ी हैं। किंवदंतियां, धर्म और इतिहास ने मिलकर प्रदेश को अति समृद्ध तो बनाया ही, प्रदेश में बेहद महत्वपूर्ण स्थानों का विकास भी किया है । यहां अनेक दर्शनीय स्‍थल हैं। उत्‍तर प्रदेश के पर्यटनों में मथुरा, काशी, अयोध्‍या, इलाहाबाद, फतेहपुर सीकरी और उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अलावा दर्जनों दर्शनीय स्‍थल हैं । उत्‍तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ गोमती के किनारे पर बसा हुआ है। लखनऊ नगर में, लखनऊ ज़िला और लखनऊ मंडल का प्रशासनिक मुख्यालय है। लखनऊ नगर अपनी ख़ास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसंस्कृति, आम के बाग़ों और चिकन की कढ़ाई, नामचीन कत्थक नृत्य कला का जन्मस्थल, बेगम अख्त्तर की ग़ज़लों का सरूर लिए ‘पहले आप’ की तहज़ीबो अदब और शाम-ए-अवध के लिए जाने जाना वाला नवाबी तबियत का पूरी दुनिया में एक ही शहर है। लखनऊ शहर और आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं। इनमें ऐतिहासिक स्थल, उद्यान, मनोरंजन स्थल एवं शॉपिंग मॉल आदि हैं। नवाबों ने इस नगर में अनेक भवनों का निर्माण किया, जिनमें बड़ा एवं छोटा इमामबाड़ा, लखनऊ का रेजीडेंसी प्रमुख हैंं। यह इमारत आज भी 1857 में हुए प्रथम स्‍वातंत्रता संग्राम की यादों को अपने में संजोए हुए है।

लखनऊ का रेजीडेंसी समेटे है सवतंत्रता संग्राम की यादें

लखनऊ का रेजीडेंसी संग्रहालय वर्तमान में एक राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक है । लखनऊ का रेजीडेंसी संग्रहालय का निर्माण यहां के समकालीन नवाब आसुफुद्दौला ने सन् 1780 में प्रारम्भ करवाया था जिसे बाद में नवाब सआदत अली  द्वारा सन् 1800 में पूरा करावाया गया। रेज़ीडेंसी अबध प्रांत की राजधानी लखनऊ में रह रहे, ब्रिटिश ईस्‍ट ब्रिटिश इण्डिया के अधिकारियों का निवास स्थान हुआ करता था। सम्पूर्ण परिसर में प्रमुखतया पाँच-छह भवन थे, जिनमें मुख्य भवन, बेंक्वेट हाल, डॉक्टर फेयरर का घर, बेग़म कोठी, बेग़म कोठी के पास एक मस्जिद, ट्रेज़री आदि प्रमुख थे।

रेज़ीडेंसी के खंडहर हमें लखनऊ में 1857 के महान विद्रोह की याद दिलाते हैं। वे यथास्‍थिति में परिरक्षित है जिसमें वे1920 में केन्‍द्रीय संरक्षण में आए। यह संग्रहालय भारतीय स्‍वातंत्रता के प्रथम संग्राम के दौरान इसके महत्‍व को ध्‍यान में रखते हुए स्‍थापित किया गया है। यह संग्रहालय ऐसे भाग में स्‍थित है जो मुख्‍य रेज़ीडेंसी भवन से जुड़ा है और जिसका पहले प्रयोग रेज़ीडेंसी परिसर के एक मॉडल को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता था।

लखनऊ का रेजीडेंसीइसमें रेज़ीडेंसी एक मॉडल, पुरानी फोटो, शिलालेख,  चित्र, दस्‍तावेज, अवधि से सम्‍बंधित वस्‍तुएं जैसे बन्‍दूकें, तलवारें, ढालें, तोपें, रैंक के बिल्‍ले, तमगे तथा अन्‍य वस्‍तुएं मौजूद हैं। कैनवास पर चित्रावली और चित्रकारियॉं प्रदर्शित वस्‍तुओं में शामिल हैं जिनमें रेज़ीडेन्‍सी में हुए कुछ युद्ध तथा इसी भाव से जुड़ी अन्‍य चीज़ें दर्शायी गई हैं।

लखनऊ का रेजीडेंसी जो कि 1857 के विद्रोह का केन्‍द्र था, रणनीतिक स्‍थितियों को दर्शाने वाले अनेक मानचित्र, रेज़ीडेन्‍सी का मानचित्र और दीर्घा के विन्‍यास का रेखाचित्र भी प्रदर्शित किया गया है।

यह संग्रहालय दो भागों- भूतल और बेसमेंट में विभाजित है। दक्षिणी दिशा में एक विशाल दोहरे स्‍तंभ वाले पोर्टिको से लेकर भूतल पर प्रवेश किया जा सकता है। प्रवेश द्वार पर बने एक छोटे कमरे से होकर भूतल पर स्‍थित दीघाओं में पहुंचा जाता है और घुमावदार सीढ़ियों से बेसमेंट में स्‍थित दीर्घाओं में पहुँचा जाता है। भूतल में चार दीर्घाएं हैं और बेसमेंट में सात दीर्घाएं हैं।

हाल ही में लखनऊ का रेजीडेंसी संग्रहालय के बेसमेंट में एक नई दीर्घा को जोड़ा गया है जिसमें रेज़ीडेन्‍सी के दक्षिणी भाग में खुदाई के दौरान पाई गई कला वस्‍तुएं मौजूद हैं। इनमें  टेराकोटा की अनेक मानव और पशु मूर्तिकाएं, एक गोली भरी पिस्‍तौल, चीनी मिट्टी के बर्तन, तोप के गोले, टेराकोटा की खपरैल, शराब की बोतलों के टुकड़े और चांदी की परत वाला मक्‍खी उड़ाने वाला यंत्र इत्‍यादि शामिल हैं।

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