रैन बसेरा के रियलिटी टेस्ट में फेल हुआ संगम शहर

रिपोर्ट- सैय्यद रजा

प्रयागराज। उत्तर भारत में कड़कड़ाती ठंड से जहां हजारों बेसहारा और आश्रयहीन लोग खुले आसमान में सड़को के चारो तरफ लगे पेड़ों के नीचे रात काटने को मजबूर हैं तो वहीं इनके लिए करोड़ों की लागत से बनाये गए सरकारी रैन बसेरा खाली पड़े हैं।

प्रयागराज शहर के बीचों बीच खुले आसमान में पेड़ो के नीचे ठिठुर ठिठुर रात काटने को मजबूर इन बेसहारा लोगों से पूछिए सर्दी के सितम का मतलब क्या होता है। मध्य प्रदेश और देश के कई कोनो से रोजगार की तलाश में प्रयागराज आये ये मजदूर पूरे दिन आसपास के इलाकों में कड़ी मेहनत करते हैं।

और जैसे ही शाम ढलती है ये पेड़ों के नीचे चले आते हैं। अपनी रात गुजारने के लिए । एक एक कंबल में कही चार चार लोग रात काटते हैं तो कहीं बहुत से लोग आग का अलाव ताप कर ही अपनी रात निकाल देते हैं। इनके लिए न तो सरकारी रैन बसेरों के दरवाजे खुले हैं और न प्रशासन की कोई मदद।

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इन रैन बसेरों में न तो गद्दों की कमी है ना रजाइयों की फिर भी यहां लोगों को ये मुहैया नही हो पाते। इन आश्रयहीन और जरुरत मंद लोगों के लिए नगर निगम प्रशासन ने करोडों रुपये खर्च करके जो 13 स्थाई और 23 अस्थाई रैन बसेरे बनाये हैं।

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प्रयागराज में इस समय जिस तरह सर्दी अपना सितम बरपा रही है। उसी तरह जिले की प्रशासनिक व्यवस्था भी ठंडी पड़ी है ।

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