यूजीसी अधिसूचना पर जेएनयू को उच्च न्यायालय का नोटिस

यूजीसी अधिसूचनानई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की अधिसूचना के आधार पर कार्यवाही करने को लेकर विद्यार्थियों द्वारा दायर याचिका पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को नोटिस जारी किया है। विद्यार्थियों ने एकल पीठ द्वारा याचिका खारिज करने के बाद उच्च न्यायालय की शरण ली है।

यूजीसी ने अधिसूचना जारी कर विश्वविद्यालयों को दिशा-निर्देश दिए हैं कि एक प्राध्यापक के अधीन तीन से एम. फिल के लिए विद्यार्थियों की सीमा तीन और पीएच.डी. के लिए विद्यार्थियों की सीमा आठ निर्धारित की है।

दिल्ली उच्च न्यायालय की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायाधीश अनु मल्होत्रा की खंडपीठ ने मामले पर जेएनयू से 28 अप्रैल तक जवाब देने के लिए कहा है। इससे पहले न्यायाधीश वी. के. राव ने यह कहते हुए विद्यार्थियों की याचिका खारिज कर दी थी कि यूजीसी के दिशा-निर्देश विश्वविद्यालयों के लिए ‘व्यावहारिक और बाध्यकारी’ हैं।

विद्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि यूजीसी द्वारा पांच मई, 2016 को जारी किए गए नए दिशा-निर्देश उनके भविष्य को अधर में डालने वाले हैं, क्योंकि इससे विद्यार्थियों को शोध कार्य के लिए प्राध्यापक ही नहीं मिल पाएंगे।

वहीं जेएनयू प्रशासन ने उच्च न्यायालय से कहा कि यूजीसी की अधिसूचना उनके लिए बाध्यकारी है और देश के सभी 43 केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने अपने यहां इसे लागू कर दिया है।

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