अशुभ फल से बचने के लिए जरूरी है ये 5 यज्ञ
जाने-अनजाने में हर इंसान से कुछ न कुछ गलतियां हो जाती हैं। धर्म ग्रंथों में कुछ गलतियों को पाप माना गया है, जैसे हमारे पैरों के नीचे आने से अनेक जीव मारे जाते हैं, ये भी पाप है। धर्म ग्रंथों में ये भी बताया गया है कि कौन-से 5 काम करने से इन पापों के अशुभ फलों से मुक्ति पाई जा सकती है। ये पांच काम इस प्रकार हैं…
1. ब्रह्मयज्ञ- हर रोज वेदों का अध्ययन करने से ब्रह्मयज्ञ होता है। वेदों के अलावा पुराण, उपनिषद, महाभारत, गीता या अध्यात्म विद्याओं के पाठ से भी यह यज्ञ पूरा हो जाता है। यह न हो तो मात्र गायत्री साधना भी ब्रह्मयज्ञ संपूर्ण कर देती है। धार्मिक दृष्टि से इस यज्ञ से ऋषि ऋण से मुक्ति मिलती है। इसलिए इसे ऋषियज्ञ या स्वाध्याय यज्ञ भी कहा जाता है।जानिए क्यों बहुत कोशिशो के बाद भी नहीं मिल पा रही है सफलता
2. देवयज्ञ- देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिए हवन करना देवयज्ञ कहलाता है।
3. भूतयज्ञ- कीट-पतंगों, पशु-पक्षी, कृमि या धाता-विधाता स्वरूप भूतादि देवताओं के लिए अन्न या भोजन अर्पित करना भूतयज्ञ कहलाता है।
4. पितृयज्ञ- मृत पितरों की संतुष्टि व तृप्ति के लिये अन्न-जल समर्पित करना पितृयज्ञ कहलाता है। जिससे पितरों की असीम कृपा से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। अमावस्या, श्राद्धपक्ष आदि इसके लिए विशेष दिन है।
5. मनुष्य यज्ञ- घर के दरवाजे पर आए अतिथि को अन्न, वस्त्र, धन से तृप्त करना या दिव्य पुरुषों के लिए अन्न दान आदि मनुष्य यज्ञ कहलाता है।