सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों को माना नाकाफी, सहारा डायरी केस में मोदी को राहत

मोदी को राहतनई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सहारा-बिड़ला डायरी मामले में जांच की मांग ठुकरा दी है। बुधवार को कोर्ट ने याचिकाकर्ता की तरफ से पेश सबूतों को नाकाफी करार दिया।

मोदी को राहत

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस अमिताव राय की बेंच ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि – “कुछ कागजों के आधार पर एफआईआर का आदेश नहीं दिया जा सकता। उनकी पुष्टि करने वाले दूसरे सबूत ज़रूरी हैं।”

याचिकाकर्ता कॉमन कॉज़ के वकील प्रशांत भूषण ने लगभग दो घंटे तक कोर्ट को इस बात के लिए सहमत करने की कोशिश की कि मामले में एफआईआर दर्ज होना ज़रूरी है। भूषण ने कहा कि लोगों तक ये संदेश जाना चाहिए कि कोई कितना भी बड़ा हो, कानून से ऊपर नहीं है।

जिसके जवाब में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी का कहना है कि किसी छापे में मिला कागज़ उन लोगों के खिलाफ एफआईआर का आधार नहीं बन सकता, जिनके नाम उस कागज़ में लिखे हैं। अगर ऐसा किया गया तो देश भर में लाखों मामले दर्ज होने लगेंगे।

तीन घंटे से ज्‍यादा चली इस सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने विस्तार से अपना फैसला सुनाया । कोर्ट ने कहा – ये सच है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। अदालत किसी के भी खिलाफ जांच का आदेश दे सकती है। लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि पेश किए गए सबूत इसके लायक हों।

दरअसल 2013-14 में बिड़ला और सहारा समूह के दफ्तर पर पड़े छापों में कुछ कागजात मिले थे। इनमें देश के कई बड़े नेताओं औऱ नौकरशाहों को पैसे देने की बात लिखी गयी थी। इन्हीं कागज़ात के आधार पर सुप्रीम कोर्ट से जांच की मांग की गयी थी।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई विपक्षी दलों ने इन कागज़ों के आधार पर पीएम पर हमला किया था। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें जांच के लिए नाकाफी करार दिया। कोर्ट ने कहा, बिना सबूत किसी भी नेता या नौकरशाह के खिलाफ मामला बनता नज़र नहीं आ रहा है।

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