यहाँ पूजे जाते हैं ‘मामा कंस’, किसी को नहीं मालूम क्या है चक्कर?

मामा कंसलखनऊ से हरदोई के रास्ते पर जाते हुए एक गाँव के समीप आपको एक बड़ी मूर्ति नजर आएगी. यह मूर्ति भगवान श्री कृष्ण के मामा कंस की है. इस गाँव में उसी मूर्ति को पूजा जाता है. गाँव के निवासी पीढ़ियों से इसी मूर्ति की पूजा करते आ रहे हैं. यह परंपरा कब और कैसे शुरू हुई किसी ग्रामीण के पास इसकी पुख्ता जानकारी नहीं है.

ये है मामा कंस की कहानी

मथुरा के राजा कंस में स्वच्छन्द शासकीय प्रवृत्तियाँ जागृत हुईं और पिता को कैद करके वह खुद राजा बन गया. बहन देवकी और बहनोई वसुदेव को भी बंदी बना लिया. प्रजा के कष्टों का उसपर कोई असर न था. कंस बस अपने दुश्मन राज्यों को तहस-महस करके मस्त रहता था.

कंस अपनी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था लेकिन देवकी के विवाह के समय हुई एक भविष्यवाणी ने बहुत कुछ बदल कर रख दिया. भविष्यवाणी के अनुसार देवकी की आठवीं संतान उसकी मृत्यु का कारण बनने वाली थी. बहन देवकी से मोह के कारण कंस उसे मार नहीं पाया लेकिन अपने पिता के साथ बहन और बहनोई को कैद कर लिया.

लेकिन विधि के विधान को कोई नहीं बदल सकता. कंस अपनी कोशिशों में सफल नहीं हुआ. देवकी और वसुदेव की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्री कृष्ण ने अवतार लिया और मामा कंस के आतंक को समाप्त कर दिया.

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