बात जब भी रामायण की होती है उसमें राम और रावण का जिक्र जरूर होता है। कहते हैं रामायण के अंत में रावण के अहंकार को राम ने ही खत्म किया था यानी रावण की पराजय राम के हाथों हुई थी। जबकी रावण को राम के अलावा और तीन लोगों ने भी पराजय किया था। आइए जानते हैं उन तीन लोगों के बारे में जिनसे रावण ने हार मान ली थी।
भगवान राम से ही नहीं इन चार लोगों से भी हारा था महाबली रावण
बलि से रावण की हार
एक बार रावण सुबह-सुबह बलि के पास लड़ने के लिए पहुंच गया उस समय बलि पूजा कर रहे थे। रावण उसे बार-बार युद्ध करने के लिए ललकार रहा था। इससे बलि की पूजा में अड़चने आ रही थी। बलि को गुस्सा आया वह उठकर अपने बाजू में रावण को दबा लिया और समुद्र की परिक्रमा करने लगा। बालि बहुत शक्तिशाली था वह सुबह चार बार समुद्र की परिक्रमा करता था। इस दौरान रावण बहुत बार खुद को बचाने की कोशिश करता रहा लेकिन बच नहीं पाया। परिक्रमा खत्म होने के बाद बलि ने रावण को छोड़ा।
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सहस्त्रबाहु अर्जुन सर्व शक्तिशाली थी उनसे लोगों को बात करने में भी डर लगता था वहीं रावण एक बार अर्जुन से भी लडने के लिए अपनी पूरी सेना लेकर पहुंच गया। इस पर अर्जुन को गुस्सा आया और नर्मदा नदी का पानी इकट्टा करके एक साथ छोड़ दिया जिससे रावण और उसकी पूरी सेना नर्मदा नदी में बह गया था। उसके बाद रावण ने अपनी हार मान ली थी।
दैत्यराजा बलि पाताल लोक के राजा थे। एक बार रावण वहां भी अपनी सेना लेकर लड़ने के लिए पहुंच गया। रावण को देख उनके आंगन में खेल रहे बच्चों ने रावण को पकड़कर घोड़े के अस्तबल में बांध दिया। इस प्रकार एक बार और रावण की हार हुई।
शिवजी से रावण की हार
रावण को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था। वह खुद को दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान समझता था। रावण अपने इस घमंड से कैलाश पर्वत पर पहुंच गया शिवजी से लड़ाई करने के लिए। पहले उसने शंकर भगवान को युद्ध के लिए ललकारा लेकिन वह ध्यान में लीन थे।
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जब उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया तब उसने कैलाश पर्वत उठाने लगा। तब शिव जी ने अपने अंगूठे से कैलाश पर्वत को भार दिया और उसका हाथ पर्वत के नीचे दब गया। बहुत कोशिश के बाद भी जब वह अपना हाथ नहीं निकाल पाया। तब रावण ने शिव जी को खुश करने के लिए शिव स्त्रोत रच दिया तब शिवजी खुश होकर उसे छोड़ा और रावण ने शिव जी को अपना गुरु बना लिया।
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