भाजपा ने गांधी के नाम का सहारा लेकर साधे कई निशाने, 36 घंटे लगातार चले सत्र में मात खा गया विपक्ष

लखनऊ। महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री की जयंती पर विधानमंडल के दोनों सदनों के 36 घंटे लगातार चले सत्र में भाजपा ने विपक्ष को घेरा। एक बार फिर सियासी पटखनी दी। गांधी के नाम का सहारा लेकर जमकर सियासी समीकरण साधे इतना ही नहीं यह भी आरोप लगा दिया कि विपक्ष के लिए अब गांधी एक किस्सा है।

विधानमंडल

ऐसा न होता तो गांधी के नाम पर होने वाले सत्र का बहिष्कार कर राजनीति करने की कोशिश न करते। यही नहीं, भाजपा ने विपक्ष के बीच सेंध लगाते हुए यह भी संदेश दे दिया कि उसका विकल्प बनने का दावा करने वाले दलों के भीतर ही अपने-अपने नेतृत्व को लेकर असंतोष के बीज फूट रहे हैं।

लगातार इतना लंबा सत्र चलाकर उत्तर प्रदेश के नाम जो रिकार्ड बना वह तो अलग है लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बहाने विपक्ष को घेरकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतीकों की सियासत को और धार देकर खुद को कुशल सियासी खिलाड़ी भी साबित कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. कौशल किशोर मिश्र कहते हैं कि सत्र का बहिष्कार कर विपक्ष ने एक तरह से भाजपा की मंशा पूरी कर दी।

साथ ही बैठे-बिठाए उन्हें एक मुद्दा और थमा दिया। अब भाजपा नेता कहेंगे कि गांधी को लेकर पार्टी पर आरोप लगाने वालों में बापू के प्रति श्रद्धा ही नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष को दुर्योधन की संज्ञा देकर इसके संकेत भी दे दिए हैं। प्रो. मिश्र का निष्कर्ष इसलिए भी सटीक लग रहा हैं क्योंकि नरेन्द्र मोदी ने सत्ता में आने के बाद गांधी, आंबेडकर और लोहिया के सहारे कांग्रेस, बसपा और समाजवादी दलों को घेरना शुरू कर दिया था।

देश का कारपोरेट ट्रेन को देखना सपना आद होगा पूरा, तेजस को सीएम योगी दिखाएंगे हरी झंडी

वह शुरू से ही विपक्ष पर आरोप लगाते रहे हैं कि आजादी के 70 सालों तक उसने इन महापुरुषों का सिर्फ सत्ता पाने के लिए इस्तेमाल किया। हालांकि विपक्ष के इन आरोपों को बिल्कुल खारिज नहीं किया जा सकता कि भाजपा महापुरुषों पर राजनीति कर रही है लेकिन सत्र का बहिष्कार कर विपक्ष ने खुद के लिए तमाम सवाल खड़े कर लिए हैं। इनमें सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि उसके लिए भाजपा का विरोध क्या इतना बड़ा नाक का सवाल है कि राष्ट्रीय महापुरुषों के स्मरण में भी वह इस पार्टी के साथ खड़ा नहीं हो सकता।

यह भी वजह

भले ही विपक्ष गांधी को लेकर भाजपा पर तमाम आरोप लगा रहा हो। गोडसे से संघ के रिश्तों की बात कहकर भाजपा को घेर रहा हो। पर, राजनीतिक समीक्षकों की मानें तो उसके यह आरोप भाजपा के हमलों के सामने काफी कमजोर साबित होंगे। सिर्फ यही नहीं, विपक्ष ने जाने-अंजाने अपना एक नुकसान और किया।

गांधी के सरोकारों के सहारे विपक्ष के सामने सरकार को कठघरे में खड़ा करने का बेहतर मौका था। साथ ही वह अपने उन विधायकों को स्थानीय समस्याओं पर सदन में बोलने का अवसर देती जिन्हें सामान्य सत्रों में समय की कमी के कारण मौका नहीं मिलता।

विपक्ष गैरहाजिर रहा और सत्र लगातार 36 घंटे चलना था तो जो सदन में मौजूद थे उन्हें खूब मौका मिला। भले ही विपक्ष यह कहकर अपनी पीठ थपथपा ले कि इससे क्या होगा। पर, गहराई से देखें तो इन विधायकों ने अपने क्षेत्र की उन समस्याओं और बातों को भी सदन के रिकार्ड में दर्ज कराने में सफलता हासिल कर ली जो भविष्य में सरकार और शासन को जमीनी हकीकत से ज्यादा रूबरू कराएंगी।

पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक के ग्राहकों को बड़ी राहत, हुआ ये बड़ा बदलाव

सियासी समीकरण भी साधे

भाजपा को इससे सियासी लाभ से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। गांधी मुसलमानों और अनुसूचित जातियों के बीच भी काफी लोकप्रिय रहे हैं। लोगों की दिलों में गांधी को लेकर आदर और प्रेम को सिर्फ इसी से जाना जा सकता है कि आज भी गांधी की आलोचना या उन पर टिप्पणी देश भर में राजनीतिक तूफान खड़ा कर देती है। निश्चित रूप से भाजपा  अब गांधी के सहारे इन वर्गों में पकड़ व पहुंच को और मजबूत करने की कोशिश करेगी।

इनके दिमाग में यह बात बैठाने की कोशिश करेगी कि उस पर गांधी व मुस्लिम विरोधी होने के आरोपों में कोई दम नहीं है। लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एस.के. द्विवेदी कहते भी हैं कि भाजपा ने इस बहाने यह कोशिश तो शुरू ही कर दी कि मुसलमान उसका समर्थन न भी करें तो विरोध में भी लामबंद न हों। जिसमें वह सफल होती भी दिख रही है।

बसपा के मुस्लिम विधायक अरशद राईनी का सदन में आकर योगी और भाजपा की तारीफ करना इसका प्रमाण है। विपक्ष भले ही अभी न समझे लेकिन भाजपा रणनीतिाकारों ने सत्र के सहारे विपक्ष में सेंधमारी कर वहां भी अपनी राय के पैरोकार होने का संदेश जनता को दे दिया है।

 

LIVE TV