आंसुओं में डूब जाता पूरा गोरखपुर अगर मदद के लिए न आता ‘मसीहा’ मोदी

बीआरडी मेडिकल कॉलेजलखनऊ। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बीते सात दिन चले मौत के तांडव ने पूरे देश की गमगीन कर दिया। लेकिन अभी भी आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। जिले के कलेक्टर ने अस्पताल में हुई मौत का कारण ऑक्सीजन की कमी को बताया। कई चिट्ठियों से भी इसका खुलासा हुआ। लेकिन योगी सरकार तो मानों किसी भी कीमत पर अपनी हुकूमत पर आंच नहीं आने देना चाहती। फिर चाहे कैसा भी झूठ बोलना पड़े। इन सबके बीच एक ऐसी खबर आई है जो इंसानियत पर भरोसा जगाती है।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज को की सप्लाई

बीआरडी मेडिकल ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई 60 से ज्यादा मौत से पूरे देश में हंगामा मचा है। लेकिन बीच इसी गोरखपुर शहर इंसानियत पर भरोसा जगाने वाली खबर आई है। शहर की एक निजी कंपनी ने एक भी पैसा लिए बिना इस अस्पताल में 200 से ज्यादा ऑक्सिजन सिलिंडरों की सप्लाई की।

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मोदी केमिकल प्राइवेट लिमिटेड नाम की यह कंपनी पहले भी BRD को ऑक्सिजन सिलिंडर्स की सप्लाई किया करती थी, लेकिन इसी साल मार्च में अस्पताल ने उसके साथ अपना कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर दिया।

इसके बावजूद कंपनी ने मालिक प्रवीण मोदी ने आगे आकर अस्पताल को सिलिंडर्स मुहैया कराए। प्रवीण का कहना है कि इंसानियत का फर्ज निभाने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है।

न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए प्रवीण ने कहा, ‘जब हमें पता चला कि BRD अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत हो रही है तो हमने इंसानियत के कारण अस्पताल को करीब 200-300 सिलिंडर्स की सप्लाई की।’

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प्रवीण की कंपनी का करीब 20 लाख रुपया अब भी बीआरडी मेडिकल कॉलेज पर बकाया है। इसके बावजूद उन्होंने यह कदम उठाया है। प्रवीण बताते हैं, ‘इसी साल मार्च में अस्पताल प्रशासन ने मेरी कंपनी के साथ अपना अनुबंध खत्म कर दिया और इलाहाबाद की एक कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दे दिया।’

इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही है कि अस्पताल के ऑक्सिजन सप्लाई करने वाले विभाग ने पहले ही सिलिंडर्स की कमी के बारे में प्रशासन को आगाह कर दिया था। इस चेतावनी के बावजूद लापरवाही बरती गई और नतीजा यह रहा कि 2 दिनों के अंदर 30 से ज्यादा मासूमों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

ऑक्सिजन सप्लाई डिपार्टमेंट ने 3 अगस्त और 10 अगस्त को अस्पताल प्रशासन को एक पत्र भेजकर ऑक्सिजन सिलिंडर्स की कमी के बारे में जानकारी दी थी। पुष्पा सेल्स नाम की जो कंपनी अस्पताल को ऑक्सिजन की सप्लाई करती थी, उसने बकाया बिल का भुगतान नहीं होने के कारण सिलिंडर्स भेजना बंद कर दिया था।

शुक्रवार को खबर आई कि 48 घंटे के अंदर अस्पताल के इंसेफेलाइटिस वॉर्ड में भर्ती करीब 30 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई है। गोरखपुर के DM राजीव रौतेला ने कहा कि अस्पताल को की जा रही लिक्विड ऑक्सिजन की आपूर्ति बंद होने के कारण ये मौतें हुईं।

उन्होंने सप्लाई करने वाली कंपनी से अपील की कि वह आपूर्ति दोबारा शुरू कर दे। इस खबर के बाद उत्तर प्रदेश सरकार मेडिकल कॉलेज के बचाव में आगे आई। सरकार ने इस घटना की जांच कराए जाने और 24 घंटे के अंदर प्राथमिक रिपोर्ट जारी किए जाने का भी आश्वासन दिया।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज से लिए गए आंकड़ों के मुताबिक, 7 अगस्त से 11 अगस्त के बीच 5 दिनों के अंदर यहां 60 लोगों की मौत हुई है। इन आंकड़ों में उन ऑक्सिजन सिलिंडर्स की भी संख्या है जिन्हें दोबारा भरने के लिए भेजा गया था। इन आंकड़ों से साफ है कि अस्पताल में लिक्विड ऑक्सिजन की कमी थी।

अगर इस पूरी रिपोर्ट पर गौर करें तो कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इन सवालों के जवाब देने में भी शायद सीएम योगी और उनकी सरकार पीछे ही हटेगी।

बीते कई साल से इसी अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहे प्रवीण मोदी से अचानक कॉंट्रैक्ट आखिर किस आधार पर खत्म कर दिया गया?

गोरखपुर से 300 किमी दूर इलाहाबाद की कम्पनी को ठेका क्यों?

इलाहाबाद की कम्पनी का अपना प्रोडक्शन तक नहीं जबकि मोदी की कंपनी का ऑक्सीजन का खुद का अपना उत्पादन और लोकल सप्लाई

साथ ही मोदी केमिकल प्राइवेट लिमिटेड के मालिक प्रवीण ने आरोप लगाए कि प्राचार्य मेरा फोन तक नहीं उठाते। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन सिलेंडर भरी मेरी गाड़ी लौटाई थी। आरोप लगाते हुए कहा कि इम्पीरियल और पुष्पा को अवैध काम दिया।

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