बिहार लोक सेवा आयोग: BPSC प्री के गलत सवालों ने ले ली 2 की जान, और परीक्षा से बाहर हुए 900 लोग !

बिहार में 2 आत्महत्याएं हुई. और दोनों ख़बरों में एक चीज़ कॉमन थी.

पटना के बेऊर इलाके में बने हरिश्चंद्र नगर के एक लॉज में रहने वाले 27 साल के छात्र विभाष कुमार ने 14 जून को फांसी लगाकर जान दे दी.

वजह ये थी कि वो बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पास नहीं कर पाया था. उसके कमरे से सुसाइड नोट मिला, जिसमें उसने अपनी असफलता के बाद मानसिक तनाव का जिक्र किया था.

पटना के पीरबहोर इलाके के गौरैया स्थान के एक घर में किराए पर कमरा लेकर रहने वाले गौरव ने 14 जून को जहर खाकर जान दे दी. वजह ये थी कि वो बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा पास नहीं कर पाया था.

उसके कमरे से भी सुसाइड नोट मिला, जिसमें उसने खुद की असफलता का जिक्र किया है. गौरव सिर्फ 2 नंबर से बीपीएससी की परीक्षा पास नहीं कर पाया था.

 

एक दिन, एक शहर, एक ही वजह और दो आत्महत्याएं. और इन सबके तार जाकर जिस एक जगह पर जुड़ते हैं, वो है बिहार लोक सेवा आयोग. इस आयोग ने 64वीं बीपीएससी की परीक्षा आयोजित करवाई.

परीक्षा में कुछ ऐसे सवाल थे, जिनके जवाब पर विवाद था और ये विवाद कोर्ट तक पहुंच गया. अभी तक कोर्ट का फैसला भी नहीं आया और आयोग ने मेन्स की डेट घोषित कर दी. और परीक्षा की डेट आने के साथ ही मेन्स से बाहर हुए इन दोनों लड़कों ने खुदकुशी कर ली.

 

एक गलत जवाब और रिजल्ट से बाहर हो गए थे 900 लोग

16 दिसंबर, 2018. बिहार लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विसेज की 64वीं परीक्षा आयोजित करवाई थी. इस परीक्षा में करीब 5.50 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे.

28 दिसंबर को आयोग की ओर से आंसर की जारी की गई और 23 फरवरी को इसका रिजल्ट आ गया. और जब रिजल्ट आया, तो पता चला कि सिर्फ एक गलत जवाब की वजह से 900 लोग मेन्स की परीक्षा से बाहर हो गए. प्रीलिम्स की परीक्षा के सेट डी में सवाल नंबर 113 था-

 

वीर कुंवर सिंह अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के विद्रोह में किस जगह पर शामिल हुए थे?

इस सवाल के पांच ऑप्शन थे. आरा, पटना, बेतिया, वाराणसी और इनमें से कोई नहीं. ज्यादातर लोगों ने जवाब दिया था आरा, लेकिन आयोग की आंसर शीट में इसका सही जवाब पटना बताया गया था और कहा गया था कि सही जवाब इनमें से कोई नहीं ही होगा.

इस एक सवाल की वजह से अभ्यर्थियों के एक नंबर कट गए और इसकी वजह से 900 अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिए क्वॉलिफाई नहीं कर पाए.

 

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कुछ और सवालों पर थी आपत्ति

वीर कुंवर सिंह से जुड़ा सवाल इकलौता सवाल नहीं था, जिसपर आपत्ति हुई. इस सवाल के अलावा कुछ और सवालों पर परीक्षार्थियों और आयोग के बीच टकराव हो गया. ये सवाल थे-

 

-एक भारतीय राज्य के रूप में बिहार कब बना?

 

-बाल गंगाधर तिलक ‘लोकमान्य तिलक’ के नाम से कब जाने जाने लगे?

 

तीन सवालों को हटाकर जारी कर दी आंसर की

जब परीक्षार्थियों ने आयोग की आंसर शीट पर सवाल उठाए तो आयोग ने तीन सवालों को हटा दिया. कुल 150 सवालों में से तीन सवाल हटाकर 147 सवालों के आधार पर आंसर की जारी कर दी.

लेकिन अभ्यर्थियों का कहना था कि कुल 9 सवालों के जवाब गलत हैं. आयोग ने इसे नहीं माना. इसके बाद अभ्यर्थियों ने हंगामा कर दिया.

आयोग पर दबाव बढ़ा तो आयोग ने परीक्षार्थियों के प्रतिनिधिमंडल को बुलाया. एक बार फिर से विशेषज्ञों का पैनल बनाने की बात कही. फिर से वही पैनल बना और फिर से वही रिजल्ट जारी कर दिया गया.

और फिर मामला कोर्ट में पहुंच गया

आयोग की आंसर शीट और परीक्षार्थियों के दावे में अंतर आने के बाद ये मामला पटना हाई कोर्ट में पहुंच गया. पटना हाई कोर्ट में बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से एफिडेविट दाखिल किया गया.

इस एफिडेविट में लिखा गया था कि आयोग की ओर से 16 जनवरी, 2019 और 17 जनवरी, 2019 को विषयों के विशेषज्ञों की टीम ने सवालों के जवाब तैयार किए.

इन विशेषज्ञों ने सवालों के उत्तर तैयार किए और फिर नई आंसर की जारी की गई. इस नई आंसर की में पेपर के सेट A के सवाल नंबर 50, 69, 84, 100, 125, 130, 133 और 134 के उत्तर में बदलाव किया गया है.

ये बदलाव विषयों के विशेषज्ञों की समिति ने किया है. इसके अलावा तीन सवालों 41, 118 और 122 को रद कर दिया गया है. 31 जनवरी, 2019 को ये आदेश दे दिया गया कि इस नई आंसर की के आधार पर रिजल्ट जारी किया जाए.

इसी एफिडेविट में आयोग ने दावा किया कि परीक्षार्थियों की आपत्ति के बाद 5 अप्रैल, 2019 को फिर से पैनल बनाया गया और नए सिरे से रिजल्ट जारी किया गया.

 

आयोग के वकील ने कोर्ट को क्या बताया?

3 जून, 2019 को बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से वकील सत्यबीर भारती पटना हाई कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि आयोग ने बीपीएससी के मेन्स की कोई तारीख तय नहीं की है.

सत्यबीर की ओर से कोर्ट में कहा गया कि 5 जुलाई, 2019 से आयोग की मेन्स की परीक्षा की जो बात कही जा रही है, वो गलत है. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि अगर आयोग मेन्स की परीक्षा नहीं करवा रहा है तो फिर अदालत की छुट्टी के दौरान इस मामले की सुनवाई किए जाने की ज़रूरत ही नहीं है.

18 जून को जब अदालत खुलेगी तो फिर अदालत के रोस्टर के हिसाब से इस मामले की सुनवाई की जाएगी. कोर्ट ने ये भी कहा कि अदालत ने आयोग को 22 अप्रैल, 2019 को ही काउंटर एफिडेविट दाखिल करने को कहा था, लेकिन आयोग की ओर से एफिडेविट दाखिल नहीं किया गया. इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि मामले की अगली सुनवाई कोर्ट खुलने के बाद होगी.

 

आयोग ने मेन्स परीक्षा की तारीख जारी कर दी और दो छात्रों ने आत्महत्या कर ली

3 जून को ही आयोग ने कोर्ट को कहा था कि मेन्स की परीक्षा की तारीख तय नहीं है. कोर्ट ने कहा था कि 18 जून के बाद मामले की सुनवाई होगी. लेकिन इसी बीच 10 जून, 2019 को बिहार लोक सेवा आयोग ने मेन्स की परीक्षा की डेट घोषित कर दी. अपनी वेबसाइट पर आयोग ने बताया है कि 12 जुलाई, 13 जुलाई, 14 जुलाई और 17 जुलाई को बिहार लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा पटना में होगी.

कुछ गलत सवालों की वजह से प्रीलिम्स परीक्षा में जो छात्र फेल हो गए थे, उन्हें उम्मीद थी कि 18 जून को जब कोर्ट खुलेगा तो उनकी बात सुनी जाएगी.

ऐसे अभ्यर्थियों को उम्मीद थी कि कोर्ट नए सिरे से प्रीलिम्स का रिजल्ट जारी करने का आदेश देगा. लेकिन कोर्ट का आदेश आने से पहले ही आयोग ने मेन्स परीक्षा की तारीख घोषित कर दी. नतीजा ये हुआ कि गौरव और विभाष जैसे दो छात्रों ने आत्महत्या कर ली.

इन दो आत्महत्याओं के बाद बिहार लोक सेवा आयोग की तैयारी कर रहे छात्र आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं. वो परीक्षा नियंत्रक और अध्यक्ष को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं.

उनका कहना है कि गौरव और विभाष की आत्महत्या नहीं, संस्थागत हत्या है. अगर सरकार बिहार लोक सेवा आयोग की प्रिलिम्स परीक्षा का संशोधित रिजल्ट जारी नहीं करती है, तो गौरव और विभाष जैसे और भी लोग इस आत्महत्या वाली लिस्ट में शामिल हो सकते हैं.

 

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