बसों की हालत खराब, रोडवेज को हो रहा हर महीने नौ करोड़ का घाटा

परिवहन निगमदेहरादून। नए पार्ट्स की कमी के चलते उत्तराखंड परिवहन निगम की बसें ऑफ रूट होकर डिपो में खड़़ी होने लगी हैं। हाल ये है हर डिपो में दो-तीन बसें खड़ी हो गई हैं। वहीं चालकों की कमी के चलते रोडवेज की लगभग ढाई सौ बसें पहले से ही खड़ी होकर जंग खा रही हैं। इतनी बसों के खड़े होने से उत्तराखंड परिवहन निगम को हर माह साढ़े नौ करोड़ का घाटा उठाना पड़ रहा है। वहीं चार माह में 36 करोड़ रुपये का घाटा निगम उठा चुका है।

उत्तराखंड परिवहन निगम काफी घाटे में चल रहा है। हाल ये है कि निगम के मरम्मत कार्य के लिए निर्धारित बजट भी उपलब्ध नहीं है। इस कारण हर डिपो में बसें खड़ी होनी शुरू हो गई हैं। उत्तराखंड रोडवेज संयुक्त परिषद के प्रांतीय महामंत्री रामचंद्र रतूड़ी ने बताया कि टायर, कमानी से लेकर कई ऐसे पार्ट्स होते हैं जो बसों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। तय समय पर इनकी खरीद के लिए बजट जारी किया जाता है। लेकिन पिछले देनदारी के कारण एजेंसियों ने ये पार्ट्स देने बंद कर दिये हैं।

पार्ट्स आपूर्ति करने वाली कंपनियों ने भुगतान न होने तक सप्लाई देने से इनकार कर दिया है। ऐेसे में बसें खड़ी होनी शुरू हो गई हैं। वहीं, लगभग दौ बसें केवल इसलिए खड़ी हैं क्योंकि उन्हें चालकों की जरूरत है। एक साथ इतनी बसें खड़ी होने के चलते हर माह नौ करोड़ का नुकसान रोडवेज को उठाना पड़ रहा है। उत्तराखंड परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक बृजेश कुमार संत ने बताया, पार्ट्स की कमी के चलते अगर बसें खड़ी हो रही हैं तो इस संबंध में जीएम संचालन को निर्देश दिये जाएंगे। उनको स्थिति से अवगत कराने को कहा गया है। वहीं चालकों की भर्ती भी जल्द ही हो जाएगी।

रोडवेज कर्मचारियों को दो माह से वेतन नहीं मिला है। वहीं कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें वेतन देने के बजाये वोल्वो संचालित करने वाली कंपनी को डेढ़ करोड़ का भुगतान कर दिया गया। अधिकारियों को पहले कर्मचारियों के हितों की सोचनी चाहिये था। दो माह से वेतन न मिलने से कर्मचारियों का घर का बजट बिगड़ गया है। वातानुकूलित बसों को सवारी का टोटा नहीं गर्मी बढ़ते ही उत्तराखंड परिवहन निगम की वातुनाकूलित बसों में सवारियों का टोटा खत्म हो गया है। गर्मी में सफर सुकून भरा हो, इसके लिए सवारियां अब ऐसी बसों का रुख करने लगी हैं। इससे रोडवेज प्रबंधन को उम्मीद जगी है कि इससे घाटे से उबरने में कुछ मदद मिल सकेगी। देहरादून से दिल्ली के लिए हर दिन लगभग अस्सी एसी बसें संचालित होती हैं।

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