फेसबुक भी करता है खबरों का खतरनाक खेल
सोशल मीडिया का क्रेज और इसके प्रति बढ़ता रुझान लोगों तक ख़बरें पहुंचाने का नया मंच बन चुका है। www.techinsider.io वेबसाइट के मुताबिक़ फेसबुक ने ख़बरों की नई दुनिया को जन्म दे दिया है। अब आप उन ख़बरों को देखना चाहें या नहीं, यह अलग बात है।
फेसबुक का सच
इस बात के उदाहरण के तौर हाल ही में फेसबुक पर अपलोड हुए फिलान्डो कास्टल के वीडियो को लिया गया है।
ख़बरों के मुताबिक़ बीते गुरुवार को मिनेसोटा में पुलिस ने रूटीन ट्रैफिक कंट्रोल करते समय एक अश्वेत को गोली मार दी।
फेसबुक पर जारी हुए वीडियो में एक शख्स को खून से लथपथ दिखाई दे रहा था और उसकी गर्लफ्रेंड और बेटी उसे मरता हुआ देख रहीं थी।
फेसबुक कई बार उन वीडियो या फोटो को हटा देता है, जो अमानवीय संदेश देती हैं। लेकिन इस केस में ऐसा नहीं किया गया।
इस मामले के बारे में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग का कहना है कि यह वीडियो दुखद तो है, पर हमारे करोड़ों मेम्बर हैं जो हर दिन इन पलों को जीते हैं।
उन्होंने कहा कि मैं आशा करता हूँ कि ऐसा वीडियो हमें दोबारा देखने को न मिले। उन्होंने यह भी कहा कि यह हमें इस बात का अहसास कराता है कि क्यों पूरी दुनिया को एक साथ और खुले विचारों वाले नई दुनिया का निर्माण करना जरूरी बन जाता है और अभी हमें इसके लिए और कितना प्रयास करना है।
सीधी तौर पर अगर कहा जाए तो मार्क का मानना यह है कि हर इंसान को यह जानने का हक़ है कि आखिर उस पुलिस वाले ने अपनी बन्दूक खींचकर उस बेचारे आम नागरिक के साथ कैसा अमानवीय व्यवहार किया।
यह अच्छी बात है कि सच कैसा भी हो सामने आना चाहिए, तभी तो लोग अन्याय के खिलाफ आवाज उठा पायेंगे और सच का साथ दे पायेंगे। यदि किसी को सच का पता ही नहीं होगा तो अन्याय के खिलाफ आवाज क्या उठाएंगे।
इस मामले में ज्यादा जिम्मेदार वे लोग हैं जो ख़बरों को अपने फायदे के लिए तोड़ मरोड़ के अपने तरीके से दुनिया के सामने पेश करने का प्रयास करते है। इस मामले में उन्हें ज्यादा ध्यान रखने कि जरूरत है।