हिंदुत्व के लिए मोदी ने दांव पर लगा दी कुर्सी, ये फैसला फेर देगा तीन सालों की मेहनत पर पानी!

प्रधानमंत्री नरेंद्रनई दिल्ली। गोहत्या पर पूरे देश में बैन लगाने का मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भारी पड़ सकता है। जहां एक ओर उनके इस फरमान को अल्पसंख्यकों के विरोध में देखा जा रहा है। वहीं किसानों के नाम पर कई लोगों के व्यापार और खान-पान के तरीकों में बड़ा बदलाव करने की कोशिश भी माना जा रहा है। केरल सरकार इसके खिलाफ है और खुली तौर पर फैसले के विरोध में।

इस मामले में यहाँ के सीएम पीएमओ को ख़त लिखे। दरअसल केंद्र सरकार ने पूरे देश में मवेशियों की खरीद-फरोख्त पर नए नियम लागू कर दिए हैं। नियमों के आधार पर किसी भी मवेशी(गाय, सांड़, भैंस, बैल, बछड़े, ऊंट) को कत्ल करने के मकसद से कोई भी बेच नहीं पाएगा। इन्हें खरीदने के लिए खरीदार को खुद को कृषक प्रमाणित करने वाले दस्तावेज पेश करने होंगे।

ख़बरों के मुताबिक़ केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन इस मसले पर पीएमओ को खत लिख सकते हैं। मवेशियों और बूचड़खानों पर राज्य सरकार मौजूदा नियमों में खत का जवाब मिलने पर ही कोई बदलाव करेगी।

वहीं केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने केंद्र के इस फैसले को किसानों के हित में बताया है। मेनका ने कहा, सरकार ने पहले से ही मौजूदा कानून का समर्थन किया है।

सीएम विजयन का कहना है कि अगर आज मवेशियों को मारने पर पाबंदी लगा दी जा रही है, तो कल मछली खाने पर भी रोक लगा दी जाएगी। केंद्र के नए नियम से गरीब, दलित और किसानों के रोजगार पर प्रभाव पड़ेगा।

ख़ास बात यह है कि पर्यारण मंत्रालय के नए नियमों के खिलाफ स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया, CPM यूथ विंग केरल के 200 स्थानों पर बीफ फेस्ट आयोजित करने जा रहा है।

सरकार के इस फैसले का तमिलनाडु में भी विरोध हो रहा है। वीसीके पार्टी नेता ने सरकार को अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताते हुए इस फैसले को आरएसएस का एजेंडा करार दिया।

पर्यावरण मंत्रालय ने द प्रीवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टु एनिमल्स (रेगुलेशन ऑफ लाइवस्टॉक मार्केट्स) नियम 2017 को नोटिफाई कर दिया है।

इस नोटिफिकेशन का मकसद मवेशी बाजार में जानवरों की खरीद-बिक्री को रेगुलेट करने के साथ मवेशियों के खिलाफ क्रूरता रोकना है।

इस नोटिफिकेशन के बाद नियमों के मुताबिक मवेशी को बाजार में खरीदने या बेचने लाने वाले को ये सुनिश्चित करना होगा कि मवेशी को बाजार में कत्ल के मकसद से खरीदने या बेचने के लिए नहीं लाया गया है।

इसके लिए खरीदने और बेचने वाले दोनों को एनिमल मार्केट कमिटी के मेंबर सेक्रेटरी को एक अंडरटेकिंग देना पड़ेगा। बिना राज्यमवेशी संरक्षण कानून की मंजूरी के खरीदार मवेशी को राज्य के बाहर भी नहीं बेच सकेगा।

पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन का कहना हैं कि गाय, सांड़, भैंस, बैल, बछड़े, ऊंट जैसे जानवर इस कैटेगरी में आते हैं। हालांकि ये नियम बाजार के लिए हैं और मवेशियों की व्यक्तिगत तौर पर खरीद- बिक्री को इसमें स्पष्ट नहीं किया गया है। बूचड़खानों के लिए 50 से 60 फीसदी जानवर इन्हीं मवेशी बाजारों से आते हैं। लिहाजा नोटिफिकेशन के बाद मीट के व्यापार पर इस असर पड़ेगा।

इस नोटिफिकेशन में बाजार की परिभाषा को साफ करते हुए बताया गया कि जहां अलग-अलग जगहों से जानवर बेचने या नीलामी के लिए लाए जाते हैं। जिला स्तर पर एक डिस्ट्रिंक्ट एनिमल मार्केट मॉनिटरिंग कमिटी बनेगी।

इसके अलावा स्थानीय स्तर पर एनिमल मार्केट कमेटी बनेगी। नोटिफिकेशन में साफ-साफ कहा गया है कि खरीदने वाले को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि वो मवेशी को खेती के उद्देश्य से ले जा रहा है।

खरीदार को ये घोषणापत्र देना होगा कि वह 6 महीने तक मवेशी को नहीं बेचेगा। अब से मवेशी की धार्मिक उद्देश्य से बलि भी नहीं दी जा सकेगी।

मतलब साफ़ है कि दुनिया भले ही किसी भी नजरिए से इस फैसले को देखे, लेकिन कहीं न कहीं उनका यह फैसला आरएसएस और हिंदुत्व की ओर इशारा कर रहा है।

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