देश में तो जीत गए लेकिन दुनिया में हार गए मोदी, संयुक्त राष्ट्र के एक खुलासे से भारत को लगा तगड़ा झटका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीनई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही भारत के चहुमुखी विकास के लिए दिन रात लगे हों और तमाम योजनाएं और लोगों के फायदे के लिए कितनी ही स्कीमें लागू कर चुके हों लेकिन एक विशेष मामले पर संयुक्त राष्ट्र ने मोदी के मिशन को पलीता लगाया है। दरअसल संयुक्त राष्ट्र की 30 साल पुरानी यातना रोधी संधि के अनुमोदन में भारत अभी भी पाकिस्तान समेत 161 देशों से पीछे खड़ा है। 1997 में संधि के अनुसार इस पर हस्ताक्षर करने के बाद भी भारत अब तक इस मामले में कानून नहीं बना पाया है।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत उन चुनिंदा नौ देशों में शामिल है जिन्होंने अभी तक इस विशेष संधि का अनुमोदन नहीं किया है जो कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधि के अनुमोदन के लिहाज से हस्ताक्षरकर्ता देश के लिये बेहद जरूरी है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को लताड़ लगाई है उसका कहना है कि आखिर सरकार ने इस मामले में कानून बनाने की मंशा से अब तक अपनी प्रतिबद्धता ही क्यों नहीं दर्शायी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि कानूनी प्रक्रिया में समय लगता है लेकिन केंद्र सरकार हमें बताए कि आखिर कानून बनाने को लेकर आपने हमारे समक्ष नेक इरादे वाली अपनी प्रतिबद्धता ही क्यों नहीं जाहिर की।’’

ज्ञात हो कि कांग्रेस नेता और पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस मामले में ध्यान दिलाने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को लताड़ लगाई है। संयुक्त राष्ट्र यातना रोधी संधि के नाम से विख्यात ‘यातना एवं अन्य क्रूरता, अमानवीय या अपमानजनक बर्ताव अथवा सजा रोधी संधि’ एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधि है जिसका मुख्य लक्ष्य पूरे विश्व में यातना एवं अन्य क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक बर्ताव पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाना है।

वहीं इस मामले पर केंद्र की मोदी सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल रणजीत कुमार ने कोर्ट से इस आधार पर कुछ समय की मोहलत मांगी कि कानून बनाने के संदर्भ में नयी मुहिम शुरू किये जाने से पहले कुछ राज्यों से परामर्श किया जाना बाकी है।

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