नहीं बदला जा सकता मणिपुर का नक्शा

इंफाल। मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी ने कहा कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था की स्थिति में बेहतरीन सुधार हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि मणिपुर का कोई भी भाग वृहत्तर नागालैंड का हिस्सा नहीं हो सकता। कुछ ही महीने में होने जा रहे प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य की जनता अब बड़े या छोटे उग्रवादी गुटों से भयभीत होकर नहीं रहती।

इबोबी ने एक साक्षात्कार में कहा, पहले रात होते ही दुकानों और कियोस्क के शटर गिर जाते थे और लोग घर पर रहते थे। आज लोगों को देर रात गए तक सड़कों पर देखा जा सकता है और दुकानदार अपना व्यवसाय सुगमता से कर रहे हैं।

मणिपुर

उन्होंने कहा, उग्रवादी अपराध करने के लिए पड़ोसी देश म्यांमार से मणिपुर में घुसपैठ करते हैं और भाग जाते हैं।

मुख्यमंत्री ने साक्षात्कार में कहा, हमलोगों ने सीमाई शहरों में सुरक्षा बढ़ा दी है, इसके परिणामस्वरूप उग्रवादी अब अपनी मौजूदगी का अहसास नहीं करा सकते।

मणिपुर के शहरी इलाकों में 30 से अधिक उग्रवादी संगठन सक्रिय थे। पुलिस ने दावा किया है कि उग्रवादी हिंसा में बहुत अधिक कमी आई है लेकिन बम हमले की छिटपुट घटनाएं जारी हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, “जो लोग उग्रवादियों की मूर्खतापूर्ण हिंसा से ऊब गए हैं, वे अब उनके बारे में प्रशासन को महत्वपूर्ण सूचनाएं देते हैं।”

इबोबी के अनुसार, उग्रवादी अब पहाड़ों में भी आसानी से शरण नहीं पा सकते क्योंकि लगभग सभी आदिवासी भूमिगत संगठन अभियान स्थगन (सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन) करार पर हस्ताक्षर होने के बाद सामने आ गए हैं। मुख्यमंत्री ने हालांकि स्वीकार किया कि इनमें से कुछ गुटों की गतिविधियों को लेकर शिकायतें मिली हैं। उन्होंने कहा, ” हमलोग कानून लागू करने के लिए केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के संपर्क में हैं। ”

उन्होंने कहा, हम लोग केंद्र सरकार का ध्यान मणिपुर में संघर्ष विराम के हस्ताक्षरकर्ताओं की मौजूदगी के बारे में दिला रहे हैं जिन्हें केवल नागालैंड तक सीमित रहना चाहिए।

एनएससीएन-के ने संघर्ष विराम समझौता तोड़ दिया है और सुरक्षा बलों पर हमले कर रहा है। इबोबी ने खुलासा किया कि नागालैंड स्थित दो उग्रवादी संगठनों के बहुत सारे सदस्य पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों में पलायन कर गए हैं जबकि उन्हें कानूनी तौर पर नागालैंड में ही रहना चाहिए।

राज्य सरकार के आदेश पर वीटो के खतरे के बावूजद इबोबी ने 12 अगस्त 2004 के आर्म्ड फोर्सेज (स्पेशल पावर्स) एक्ट 1958 यानी अफस्पा को मणिपुर के सात विधानसभा क्षेत्रों से हटा दिया था।

उन्होंने कहा कि आगे चलकर इसने राज्य में विधि-व्यवस्था की स्थिति बेहतर करने में मदद की। उन्होंने कहा कि दूसरे क्षेत्रों से अफस्पा हटाने की तत्काल कोई योजना नहीं है क्योंकि हमें डर है कि रक्षा मंत्रालय की आपत्ति के बाद राज्य सरकार के इस कदम पर रोक लगाई जा सकती है।

उन्होंने शिकायत की कि सरकार को अफस्पा पर केंद्र से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। यह कानून सुरक्षा बलों को बेतहाशा अधिकार देता है।

उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों के हनन के बहुत सारे आरोप लगने के बावजूद सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया गया क्योंकि केंद्र सरकार से स्वीकृति अनिवार्य है और इस तरह की कोई स्वीकृति नहीं दी गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने केंद्र को बता दिया है कि मणिपुर का नक्शा फिर से नहीं खींचा जा सकता है जिसका दो हजार वर्ष से भी पुराना लिखित इतिहास है।

वृहत्तर नागालैंड की मांग करने वालों ने असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के नागा बहुल हिस्सों को इसमें जोड़ने की मांग की है।

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