नवाबों के शहर लखनऊ में जमघट के दिन होती है ‘पतंगबाजी’, जानें क्या है वजह

लखनऊ। देश में दीपावली के अगले जहां गोवर्धन पूजा मनाई जाती है। तो वहीं नवाबों के शहर में इस दिन गोवर्धन पूजा के साथ ही साथ पतंगबाजी भी लोग दिल खोल के करते है। लखनऊ में इस दिन को जमघट कहा जाता है। वहीं पुराने लखनऊ की बात करें तो इस दिन हर घर की छत पर पतंगहबाजी के शौकीन दिखाई देते है। छतों से फिर एक ही आवाजे सूनाई देती है। कि ये काटा तो उस छत से वो काटा ।

आपको बता दे लखनऊ में पतंगबाजी कोई साधारण पतंगबाजी नहीं होती है लोग इसकी इस दिन के लिए तमाम तैयारियां करते है। पतंगबाजी करने के लिए शहर में कई बड़े-बड़े क्लब बनाए गए हैं। जहां पर लोग पतंगें उड़ाने के लिए दूर-दूर आते है। बाकायदा इसके लिए पतंगबाजी का कॉपटीशन भी होता है। जमघट में शहर का हर आम-ओ-खास पतंगबाजी करता हैं। अपनी तमाम नजाकत के लिए पूरी दुनिया में मशहूर लखनऊ अपनी पतंगबाजी के लिए अपने को दूसरे शहरों से अलग खड़ा नजर आता है।

जहां जमघट के दिन शहर के सारे बाजार बंद रहते है तो वहीं पतंगबाजार खूब गुलजार रहता हैं, जहां 5 रुपये से लेकर 500 तक की पतंगे बाजार में शोभा बढ़ाती हैं। रील, सद्दी, मांझा चीजों से दुकान पटी पड़ी रहती है। दुकानदार भी इस त्यौहार के लिए खूब इंतजार करते हैं।

वहीं पतंगबाजी के लेकर इतिहासकार रविभट्ट कहतें हैं कि पूरे देश में मकर संक्रांति को पतंग उड़ाई जाती है, लेकिन लखनऊ एकलौता ऐसा शहर है जहां दीपावली के अगले दिन पतंग उड़ाने की परंपरा है।

इतिहासकार रविभट्ट कहतें हैं कि असल में पतंगबाजी का शौक नवाबी है। दरअसल नवाब आसिफुद्दौला को पतंग उड़ाने का खूब शौक था। और तब से ये त्योहार का एक अंग बन गया। लखनऊ में यही पतंगबाजी का दौर आगे दीपावली के अगले दिन जमघट के रूप में जुड़ गया।और इसी लिए सालभर लखनऊ में पतंगे उड़ती हैं। लेकिन जमघट मकर संक्रांति से भी ज्यादा जोर-शोर से पतंग उड़ाने के लिए जाना जाता है। लोग जो अपने शहर से दूर पढ़ने या काम करने चले गए वो भी खास तौर से पतंगबाजी करने जमघट में अपने लखनऊ जरूर आते हैं।

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