नवरात्र के तीसरे दिन करें मां चन्द्रघंटा की पूजा, बरसेगी कृपा

नवरात्र के तीसरे दिननवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती हैं। माँ चंद्रघंटा को शांति और कल्याणकारी का रूप माना जाता हैं। जो साधक योग साधना कर रहे हैं उनके लिए यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन साधक का मन मणिपूर चक्र में प्रविष्ट होता है।

इस मंत्र का करे उच्चारण

माँ चन्द्रघंटा की पूजा करते वक्त इस मंत्र का उच्चारण करने से माँ चन्द्रघंटा खुश होती हैं। भक्तों पर अपनी असीम कृपा बरसाती हैं।

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

इसका मंत्र का अर्थ हैं। देवी ने चन्द्रमा को अपने सिर पर घण्टे के सामान सजा रखा है। उस महादेवी, महाशक्ति चन्द्रघंटा को मेरा प्रणाम है।

नवरात्र के तीसरे दिन पूजा की विधि

तीसरे दिन की पूजा का विधान भी लगभग उसी प्रकार है, जो दूसरे दिन की पूजा का है। इस दिन भी आप सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी-देवता, तीथरें, योगिनियों, नवग्रहों, की पूजा अराधना करें फिर माता के परिवार के देवता, गणेश, लक्ष्मी, विजया, कार्तिकेय, देवी सरस्वती, एवं जया नामक योगिनी की पूजा करें फिर देवी चन्द्रघंटा की पूजा अर्चना करें।

नवरात्र के तीसरे दिन देवी चन्द्रघंटा की भक्ति से आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है। जो व्यक्ति मां चंद्रघंटा की श्रद्धा एवं भक्ति भाव सहित पूजा करता है उसे मां की कृपा प्राप्त होती है जिससे वह संसार में यश, कीर्ति एवं सम्मान प्राप्त करता है। मां के भक्त के शरीर से अदृश्य उर्जा का विकिरण होता रहता है जिससे वह जहां भी होते हैं वहां का वातावरण पवित्र और शुद्ध हो जाता है, इनके घंटे की ध्वनि सदैव भक्तों की प्रेत-बाधा आदि से रक्षा करती है तथा उस स्थान से भूत, प्रेत एवं अन्य प्रकार की सभी बाधाएं दूर हो जाती है।

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