देश के टॉप थ्री शहरों में यूपी के जिले भी शामिल, लेकिन कुपोषण के मामले में

यूपी में कुपोषणलखऩऊ। यूपी की सत्ता संभाले योगी आदित्यनाथ को भले ही 6 महीने ही हुए हो लेकिन सरकार को विपक्षियों के साथ स्थितियां भी घेरने में लगी हुई हैं। इस बार नीति आयोग ने यूपी में कुपोषण से सम्बंधित जो आंकड़े सामने रखे हैं, वो हैरान करने वाले हैं।

इस रिपोर्ट ने यूपी सरकार के उन दावों की पोल खोल दी है, जिसमें कुपोषण को दूर करने के दावे किये जाते हैं।

नीति आयोग ने कुपोषण से प्रभावित देश के 100 जिलों की सूची जारी की है, जिनमें सिर्फ 29 जिले सिर्फ उत्तर प्रदेश के हैं। यही नहीं टॉप थ्री शहरों में भी उत्तर प्रदेश के ही जिले शामिल हैं।

इस लिस्ट में सर्वाधिक कुपोषित बच्चों के मामले में बलरामपुर जिला पहले पायदान पर है। इसके बाद श्रावस्ती है।

नीति आयोग ने मानवीय विकास, गरीबी में कमी तथा आर्थिक विकास के लिहाज से पोषण को महत्वपूर्ण करार दिया है। इसी क्रम में नीति आयोग ने राष्ट्रीय विकास एजेंडा में इसे ऊपर रखने का सुझाव दिया है।

आयोग ने इस संबंध में राष्ट्रीय पोषण रणनीति पर एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में उन शहरों को शामिल किया गया है जहां कुपोषण के स्रवाधिक बच्चे हैं।

यूपी में कुपोषण से सर्वाधिक घिरे हैं वे तराई और पूर्वांचल के जिले हैं। बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर के अलावा, कानपुर, उन्नाव, इलाहाबाद, गोरखपुर, शाहजहांपुर, आजमगढ़, सोनभद्र, झांसी, वाराणसी, इलाहाबाद समेत अन्य जिले शामिल हैं।

बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर इलाके की आबादी 22 लाख है और यहां 55 हजार से ज़्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार है जबकि 27 हजार बच्चे अति कुपोषित श्रेणी में है।

आंकडो पर नज़र डालें तो पता लगता है कि लगभग 82 हजार बच्चे यहां कुपोषित और अति कुपोषित है। लेकिन अप्रैल 2015 में जिला स्तर पर शुरु किए गए पोषण पुनर्वास केन्द्र में ढाई वर्षो में महज 275 कुपोषित बच्चे ही पाए गए हैं।

यूपी में कुपोषण से लड़ने के लिए सरकार तैयार

रिपोर्ट आने के बाद प्रदेश की योगी सरकार ने कमर कस ली है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक सेल बनेगी, जो कुपोषण से निपटने के लिए बनी सभी योजनाओं की मॉनिटरिंग करेगी।

इसके अलावा योगी सरकार प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को नकद धन देगी। इस योजना के तहत सरकार शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और कुपोषण पर लगाम लागने की कोशिश होगी।

एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में हर तीसरी गर्भवती महिला अपोषित है जिसकी वजह से वह कुपोषित बच्चों को जन्म देती है। इतना ही नहीं मां के अपोषित होने की वजह से ही वे जन्म के बाद नवजात को दूध नहीं मिला पाती। जिसकी वजह से बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। इस योजना के तहत सरकार पंजीकरण के समय एक हजार और बच्चे के जन्म पर दो हजार रुपए नकद देगी।

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