दुर्दांत नक्सली ने बताया अपना जुर्म मैंने 72 पुलिसवाले मारे हैं अब तक  

दुर्दांतरांची। करीब दस दिन पहले दुर्दांत नक्सली कुंदन पाहन ने खुद को सरेंडर किया था। जिसके बदले में सरकार द्वारा उसे 15 लाख रूपए का चेक दिया गया था। पुलिस ने शनिवार को उसे रिमांड पर लेकर पूंछ-तांछ की। पुलिस ने मंगलवार को उसकी कन्फेशन रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंप दी हैं। मंगलवार को रिमांड खत्म होने पर उसे न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार सिंह की कोर्ट में पेश किया गया था।लेकिन पुलिस ने फिर से दो दिन की और रिमांड मांगी। जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया है।

कुंदन पाहन ने बताया कि नक्सली संगठन में गोतिया से जमीन विवाद होने पर मैं शामिल हुआ। लगातार बड़े अपराध किए। जल्दी ही एरिया को कमांडर बना दिया गया। मैंने अपनी 4 टीमें बनाई थी,जिसमे मेरे कुल 52 सहयोगी थे।किसी भी घटना को अंजाम देने के लिए अलग-अलग टीमों को जिम्मेदारी सौंपता था।

मैंने अपनी टीम के साथ 21 मई 2008 को तमाड़ में आईसीआईसीआई बैंक के कैश वैन से पांच करोड़ रुपए और सात किलो सोना लूट लिया था।अगले ही दिन तीन साथियों के बीच पैसे और सोना बांट दिया था। मैंने अब तक 72 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों की हत्या की है। मेरे पास अभी भी 12 एके-47, तीन एके-56, सात एसएलआर, कई मोर्टार और हैंड ग्रेनेड हैं। इसी का इस्तेमाल पुलिस टीम पर करता था। हालांकि हथियार कहां हैं, यह नहीं बताया।

संगठन में जितनी भी महिलाएं हैं, सबका यौन शोषण होता है। गरीब लड़कियों को पहले प्रलोभन दिया जाता है। नहीं मानने पर जबरन उठाकर संगठन में शामिल कर लिया जाता है। मेरे दस्ते में कई महिलाएं थीं।

कुंदन को तमाड़ थाने में जिस आर्म्स एक्ट के तहत जेल भेजा गया है। इस मामले में दस और भी आरोपी हैं- विशाल उर्फ तुलसी, चंदन, पंडित साव, दुबराज सिंह मुंडा, करम सिंह स्वांसी, पन्नु लोहरा, गणेश लोहरा, श्यामलाल मुंडा, हरिलाल मुंडा और दानिश। ये सभी 2014 से फरार हैं।

 

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