दुनिया में एक ऐसी जगह जिसकी कहानियां सुन कर लोग पड़ जाते हैं सोच में…

दुनिया में ऐसी कई अद्भुत जगहें और इमारतें हैं, जो सदियों पुरानी हैं और सबसे खास बात कि उनसे कुछ न कुछ रहस्य जरूर जुड़े हुए हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे रहस्यमय चर्चों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो करीब 800 साल पुराने हैं। इनके बनने के पीछे जो कहानियां प्रचलित हैं, उसे जानकर तो हर कोई हैरान रह जाता है। दुनियाभर के लोगों के बीच ये चर्च आकर्षण का केंद्र हैं। इन्हें देखने के लिए हर जगह से लोग बड़ी संख्या में आते हैं।

लालिबेला के चर्च, इथियोपिया-

इन चर्चों को ‘लालिबेला के चर्च’ के नाम से जाना जाता है, जो इथियोपिया के लालिबेला शहर में हैं। यहां कुल 11 ऐसे चर्च हैं, जिन्हें चट्टानों को काटकर बड़ी खूबसूरती से बनाया गया है। कहते हैं कि लाल और नारंगी रंग की ये चट्टानें ज्वालामुखी फटने के बाद उसके लावा से बनी हैं। माना जाता है कि इन चर्चों का निर्माण 12वीं और 13वीं सदी के बीच कराया गया है और इन्हें बनवाया है लालिबेला नाम के राजा ने, जो जाग्वे राजवंश से संबंध रखते थे। उन्हीं के नाम पर शहर का भी नाम लालिबेला पड़ा और चर्चों को भी लालिबेला के चर्च के नाम से जाना जाता है।

कहते हैं कि राजा लालिबेला चर्चों को बनवा कर इस जगह को ‘अफ्रीका का यरुशलम’ बनाना चाहते थे। आपको बता दें कि यरुशलम ईसाई धर्म का एक पवित्र तीर्थस्थल है। इस शहर को ईसा मसीह की कर्मभूमि कहा जाता है। यहां 150 से ज्यादा चर्च हैं।

एक अनुमान के मुताबिक, चट्टानों को काटकर इन चर्चों को बनवाने में करीब 20 साल लगे थे। इन्हें हथौड़े और छेनी जैसे मामूली औजारों से बनाया गया है। यहां की सबसे खास बात ये है कि एक चर्च को दूसरे चर्च से जोड़ने के लिए चट्टानों को काटकर सुरंग भी बनाई गई है।

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यहां मौजूद 11 चर्चों में ‘बेत अबा लिबानोस’ अपनी वास्तुकला के लिए सबसे ज्यादा मशहूर है। इसे एक विशाल चट्टान को किनारे से काटकर बनाया गया है। इस चर्च की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसकी तीन ओर से दीवारें नहीं हैं। यह एक खड़ी चट्टान की तरह लगता है।

इन चर्चों के निर्माण को लेकर कहा जाता है कि इन्हें स्वर्ग से आए देवदूतों ने बनाया है। लालिबेला के लोगों के बीच यह कहानी प्रचलित है कि दिन में यहां मजदूर काम करते थे और जब वो रात के समय सोने चले जाते थे, तब स्वर्ग से उतर कर देवदूत चट्टानों को चर्च का आकार देते थे। साल 1978 में इन चर्चों को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया था।

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