13 साल की दिव्यांग का हुआ रेप, कब्र से लेकर अस्पताल तक सब बन गए बहरे

दिव्यांग के साथ रेपइलाहाबाद। एक दिव्यांग के साथ रेप होता है। उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जाता है। लेकिन अजीब विडंबना दिखी कि जिस पीड़िता की मदद के लिए प्रशासन सबसे आगे खड़े होने का दम भरता है। आज उसी प्रशासन की मार झेल रही है। इत्तेफाक कि जिस दौरान यह पीड़िता अस्पताल में इस आस से पहुंची कि उसके जख्मों पर यहां मरहम लगाया जाएगा, पर ऐसा यहां हुआ नहीं। उन्हें सभी डॉक्टरों की चुनाव में ड्यूटी लगी होने का हवाला देते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया।

दिव्यांग के साथ रेप

ख़बरों के मुताबिक़ अतरसुइया इलाके में आठ दिन पहले गैंगरेप की शिकार हुई पीड़िता को डॉक्टरों ने मेडिकल टेस्ट किए बिना लौटा दिया। डॉक्टरों ने पीड़िता और उसके परिजनों को कहा कि वे इसके लिए मतदान के बाद आए।

उसके साथ एसआरएन अस्पताल में ऐसा बरताव किया गया जहां डिस्चार्ज किए जाने के बाद परिजन लगातार दो दिन से पीड़िता को मेडिकल टेस्ट के लिए डफरिन ले जा रहे हैं।

दरअसल, यहां कुछ दिन पहले एक महिला डॉक्टर को पीड़िता के साथ दुर्व्यवहार करने की वजह से झाड़ पड़ी थी। अब परिजनों का कहना है कि महिला डॉक्टर की वजह से उनके साथ डफरिन में ऐसा व्यवहार किया जा रहा है।

बता दें कि महिला डॉक्टर ने पीड़िता के परिजनों को कथित तौर पर कहा था कि इसे यहां से लेकर जाए नहीं तो फेंक दिया जाएगा।

इस व्यवहार के बाद अस्पताल प्रशासन का विरोध किया गया जिसके बाद दबाव बनने के बाद अस्पताल प्रशासन ने बच्ची को दाखिला दिया था।

करेली इलाके में रहने वाली 13 साल की दिव्यांग बालिका को पिछले मंगलवार को कब्रिस्तान में ले जाकर दो लोगों ने बलात्कार किया था। उनमें एक आरोपी 45 साल का था।

रेप से बालिका की हालत खराब हो गई। वह खून से लथपथ हो गई। डफरिन में महिला डॉक्टर ने इलाज की बजाय आनाकानी करते हुए बालिका को बाहर फेंकने की धमकी दी थी।

एसपी सिटी विपिन टाडा ने उसके खिलाफ डीएम को रिपोर्ट दी गई, जिस पर मजिस्ट्रेटी जांच चल रही है। डफरिन की जांच टीम ने भी बेरहम महिला डॉक्टर को बचाने की खातिर जांच में लीपापोती कर दी। वहीं एडी हेल्थ ने इस प्रकरण की नए सिरे से जांच शुरू करा दी है।

इसके बाद भी पीड़ित परिवार की मुश्किलें ख़त्म नहीं हुईं। मंगलवार को एसआरएन अस्पताल से डिस्चार्ज किए जाने पर बालिका को परिजन मेडिकल टेस्ट के लिए डफरिन ले गए तो उन्हें कहा गया कि बुधवार को आना।

बुधवार दोपहर बालिका को लेकर मां डफरिन पहुंची तो उन्हें फिर वापस कर दिया गया। अस्पताल में उनसे कहा गया कि सब मतदान ड्यूटी में लगे हैं। दो दिन बाद आना तब जांच होगी।

अस्पताल द्वारा किए जा रहे इस अमानवीय व्यवहार से यह परिवार काफी आहात है। वहीं 13 साल की दिव्यांग पीड़िता अपने ग़मों को अपने भीतर दबाए हुए है।

परिवार का आरोप है कि महिला डॉक्टर की शिकायत की वजह से अब उनके साथ इस तरह का व्यवहार किया जा रहा है। ऐसे में उनकी सुनने वाला कोई भी नहीं।

 

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