महिलाएं नहीं, एक बार फिर इमाम करेंगे ‘तीन तलाक’ का फैसला

तीन तलाक से पीड़ित महिलाएंलखनऊ| देशभर में तीन तलाक को लेकर छिड़ी बहस के बीच अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक अनोखी पहल की है। इसके तहत अब पर्सनल लॉ के विधि विधान को लेकर फैले भ्रम को दूर करने की तैयारी की जा रही है। लेकिन ख़ास बात ये है कि इस तैयारी में एक बार फिर तीन तलाक से पीड़ित महिलाएं शामिल नहीं की गईं हैं।

तीन तलाक से पीड़ित महिलाएं

ख़बरों के मुताबिक़ तीन तलाक से पीड़ित महिलाएं को बोर्ड ने दरकिनार कर मामले में मस्जिदों के इमामों को शामिल करने का फैसला किया। इसके लिए मस्जिदों के इमामों को एक खत भेजा गया है, जिसमें नमाजियों को निकाह, तलाक से संबंधित सही प्रावधानों की जानकारी देने की बात कही गई है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के निर्देश पर लखनऊ से यह शुरुआत हुई है।

इसके तहत मस्जिदों के इमामों को भेजे खत में उन्हें सलाह दी गई है कि मस्जिदों में नमाज, खासतौर पर जुमे की नमाज पढ़ने वाले नमाजियों को नमाज से पहले दी जाने वाली विशेष तकरीर (खुतबे) में निकाह, तलाक और विरासत की बाबत शरीयत और पर्सनल लॉ के सही प्रावधानों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाए, ताकि लोगों का भ्रम दूर हो।

इस संदर्भ में इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगीमहली के मुताबिक, बोर्ड इस बात को लेकर काफी गंभीर है कि देश में चंद लोग तलाक, निकाह और विरासत के बारे में शरीयत और पर्सनल लॉ के सही विधि विधान के बारे में भ्रम के शिकार हैं। इनकी गलत व्याख्या कर रहे हैं। इससे मुस्लिम औरतों और बच्चों को पारिवारिक व सामाजिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

मौलाना फरंगी महली ने केन्द्र की मौजूदा सरकार के दो मंत्रियों एम.वेंकैया नायडू व रविशंकर प्रसाद द्वारा हाल में तीन तलाक के संबंध में दिए बयानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ये दोनों केन्द्रीय मंत्री समान नागरिक संहिता का एक मसौदा तैयार करवाएं और सबसे पहले उस पर देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं के बीच रायशुमारी कराएं।

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