तीन तलाक: मियां के रोने पर कही रात को चैन से सोने की बात, पढें

तीन तलाक और निकाह हलाला के खिलाफ आवाज उठा कानूनी लड़ाई लड़ने वाली निदा खान को आज संतोष है कि उनके इस संघर्ष से मुस्लिम महिलाओं को नारकीय जीवन से मुक्ति का रास्ता खुल गया। उप्र निवासी निदा ने अपनी आप बीती सुनाई। बताया कि आखिर क्यों उन्हें यह कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा। वो क्या जिद थी, जिसने दुनिया से लड़ने का हौसला दे दिया।

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निदा ने बताया, परीक्षा देने बरेली कॉलेज गई तो जबर्दस्ती वहां से उठा लाए। उन्होंने मारपीट की तो गर्भपात हो गया। घर से निकाल दिया। सह लिया। पुलिस तक गई, लेकिन इस उम्मीद से कि शौहर शीरान बदल जाएंगे।

मीडिएशन सेंटर में समझौते के लिए गई थी। वहां शीरान ने तलाक के कागजात दिखाए तो पैरों तले से जमीन खिसकती महसूस हुई। उसी दिन तय कर लिया, बहुत हुआ, अब लड़ना है। निदा खान कहती हैं, यह लड़ाई अब भी जारी है, लेकिन लगने लगा है कि जीत मेरी ही होगी, क्योंकि लड़ाई जुल्म के खिलाफ है।

निदा खान बताती हैं कि घरवालों का पूरा समर्थन मिला, लेकिन ज्यादातर रिश्तेदार विरोध में खड़े हो गए। कह दिया कि आला हजरत का खानदान ताकतवर है, शीरान और उनके घरवालों के खिलाफ कुछ नहीं कर पाओगी।

अदालत में जाने के दौरान अपने जैसी तलाक पीड़ित महिलाओं से मिली तो वे भी शरीयत के डर की वजह से खुलकर बोलने में हिचकिचाती दिखाई दीं। यहां से तत्काल तीन तलाक की लड़ाई को तेज करने का फैसला लिया।

रुंधे गले से निदा कहती हैं कि किसी महिला के खिलाफ दरगाह आला हजरत से जुड़े मुफ्तियों का यह सबसे आक्रामक फतवा था। इसमें लोगों से कहा गया कि मुझसे तमाम तरह के ताल्लुकात तोड़ लिए जाएं। बीमार पड़ूं तो कोई देखने नहीं जाए और मर जाऊं तो जनाजे में हिस्सा नहीं लें।

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बकौल निदा, फतवे के बाद ऑल इंडिया मदीना काउंसिल के अध्यक्ष मुईन सिद्दीकी ने मुझे देश से खदेड़ने वाले के लिए इनाम का एलान कर दिया। उसके बाद दरगाह शाहदाना वली में जुमे की नमाज के लिए गए मेरे पिता को टोका गया। पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। बानखाना में महिलाओं ने ही घेर लिया। पुलिस को बचाकर लाना पड़ा।

इमाम द्वारा जारी किए गए इस फतवे में कहा गया था, यदि निदा खान बीमार पड़ी हैं तो उन्हें कोई देखने ना जाए, यदि उनकी मौत होती है तो कोई जनाजे में शरीक न हो और न ही कब्रिस्तान में दफन होने दें। यदि कोई निदा खान की मदद करता है तो उसे भी यही सजा मिलेगी। फतवे में कहा गया कि जब तक निदा खान सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगती हैं तब तक उनसे कोई मुस्लिम संपर्क नहीं रखेगा।

तीन तलाक और निकाह हलाला के खिलाफ आवाज उठाने को लेकर निदा मुस्लिम कट्टरपंथियों के निशाने पर आ चुकी थीं। बताती हैं, मेरे खिलाफ फतवे में कहा गया कि जो भी मेरे सिर के बाल काटकर लाएगा उसे नकद इनाम दिया जाएगा। मुझे धमकाया गया कि यदि मैंने तीन दिन के अंदर देश नहीं छोड़ा तो मुझे पत्थरों से कुचल डाला जाएगा।

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इस बीच साल 2016 में ही उत्तराखंड की एक और मुस्लिम महिला शायरा बानो ने तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाल दी। बानो ने मांग की कि उनके पति द्वारा उन्हें दिए गए तीन तलाक को खारिज किया जाए। इसके बाद इनकी याचिका में इनके साथ चार अन्य महिलाएं भी जुड़ गईं।

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