दादी-नानी के नुस्‍खे : आयुर्वेद में है डेंगू का सबसे सरल और सफल घरेलूू इलाज

डेंगूमच्छरों से फैलने वाली डेंगू नाम की बीमारी आजकल बहुत आम हो गई, यह भारत में बहुत तेजी से फ़ैल रही है| डेंगू बुखार को अक्सर लोग समझ नहीं पाते है और फिर देर हो जाने पर यह जानलेवा हो जाती है|

डेंगू संक्रमित बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से होती है, जिसके बाद व्यक्ति को बुखार आने लगता है| पूरी दुनिया में हर साल करोड़ों लोग डेंगू का शिकार होते है और सही इलाज न मिल पाने से अपने जीवन से हाथ धो बैठते है|

यह ज्‍यादातर शहरी क्षेत्र में फैलता है। यदि डेंगू बुखार के लक्षण शुरुआत में पता चल जाएं तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। डेंगू एक वायरस से होने वाली बीमारी है। इस वायरस का संक्रमण एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है। खास बात यह है कि डेंगू फैलाने वाला एडीज मच्छर गंदे पानी की बजाय साफ पानी में पनपता है। इसलिए बरसात में गमलों, कूलरों, टायर आदि में एकत्रित हुए पानी में यह मच्छर ज्यादा पाया जाता है।

बुखार किसी भी प्रकार का क्‍यूं ना हो, अगर शरीर पर चढ़ जाता है तो शरीर टूट जाता है। डेंगू कभी कभी जानलेवा भी हो सकता है। यह बहुत जरुरी है कि जिसे डेंगू हुआ हो, वह अच्‍छी डाइट ले क्‍योंकि सही प्रकार की डाइट से आपका शरीर जल्‍दी ठीक हो सकता है।

आइये जानते हैं कि डेंगू बुखार में रोगी को कौन कौन से आहार लेने चाहिये।
इस बीमारी में आपको खूब सारे संतरे या जूस पीने चाहिये। संतरे में एनर्जी और खूब सारा विटामिन सी होता है। यह पाचन क्रिया मजबूत बनाता है और शरीर में एंटीबॉडी का विकास करता है जिससे बुखार जल्‍द ठीक हो जाता है।

डेंगू बुखार के लक्षण

1. सर दर्द
2. तीव्र बुखार
3. जोड़ो में दर्द
4. उलटी/दस्त
5. पुरे शरीर में दर्द
6. आँखों में दर्द
7. शरीर के कुछ हिस्सों पर लाल लाल चकते निकल आना
8. कई बार नाक से खून आता है

सामान्य तौर पर डेंगू बुखार के लक्षण मच्छर काटने के 7-8 दिन बाद दिखाई देते है| कई बार ये बहुत सामान्य होते है, जिसे हम नार्मल फ्लू समझते है| उम्र व शरीर के हिसाब से ये लक्षण अलग अलग होते है| किसी को बुखार व चकते निकल आते है, तो किसी को उलटी और बुखार होता है| ये सभी लक्षण सामान्य फ्लू के भी है, तो ऐसे लक्षण होने पर आप यही ना समझे की आपको डेंगू हुआ है| अगर आप किसी ऐसी जगह से आ रहे है जहाँ डेंगू बुखार का मरीज था, और उसके बाद आप में ये लक्षण दिखाई पड़ते है तो जरुर अपने डॉक्टर से संपर्क करें|

डेंगू बुखार के कारण
1. डेंगू का सबसे बड़ा कारण मच्छर है|
2. घर के आस पास पानी का जमा होना|
3. संक्रमित पानी व भोजन का सेवन करना|

डेंगू को सिर्फ लक्षण देखकर नहीं समझा जा सकता है, इसके लिए डॉक्टर की सलाह पर टेस्ट करवाने चाहिए| खून की जांच के बाद ही डेंगू फीवर कन्फर्म होता है| 3-4 दिन में मरीज का शरीर डेंगू के वायरस के खिलाफ लड़ नहीं पाता है और यह बढ़ने लगता है|

 

घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार 

घरेलू उपचार …
• अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है। यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है।
• पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है। उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में दो से तीन बार दें, एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संख्या बढ़ने लगेगी।
• गिलोय बेल की डंडी ले, डंडी के छोटे टुकड़े करे। उसे दो गिलास पानी मे उबालें, जब पानी आधा रह जाये तो ठंडा होने पर काढ़े को रोगी को पिलायें। मात्र 45 मिनट बाद cells सेल्स बढ़ने शुरू हो जाएँगे!
• गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में दो तीन बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है।
• यदि गिलोय की बेल आपको ना मिले तो किसी भी नजदीकी पतंजली चिकित्सालय में जाकर “गिलोय घनवटी” ले आयें, जिसकी एक एक गोली रोगी को दिन में तीन बार दें।
• यदि रोगी बार-बार उलटी करे तो सेब के रस में थोडा निम्बू मिलाकर रोगी को दें, उल्टियाँ बंद हो जाएंगी।
• नीम और तुलसी का काढ़ा 20 से 50 मिलीलीटर पीने से डेंगू में लाभ होता है।
• करेले के रस में जीरा डालकर पीने से डेंगू में लाभ होता है।
• रात्रि में पुराने गुड़ के साथ जीरा खाने से डेंगू में लाभ होता है।
• अदरक और किश्मिश का काढ़ा पीने से डेंगू में लाभ होता है।
• अमरूद दिन में तीन बार खाने से डेंगू में लाभ होता है।
• यदि रोगी को अंग्रेजी दवाइयां दी जा रही है, तब भी यह (उक्त) चीज़ें रोगी की बिना किसी डर के दी जा सकती हैं।

बचाव 
• डेंगू से बचने के लिये आपको मादा एडीज इजिप्टी मच्छर से बचना पडेगा, इसको पहचानने के लिये देखिये कि इनके शरीर पर चीते जैसी धारियां तो नहीं हैं।
• ये ज्यादातर शरीर पर घुटने के ऊपर हमला करते हैं।
• यह दिन में ज्यादा सक्रिय होते है।
• ज्यादा ऊपर तक नहीं उड़ पाते है।
• ठन्डे और छाव वाले जगहों पर रहना ज्यादा पसंद करते है।
• पर्दों के पीछे या अँधेरे वाली जगह पर रहते है|
• अपने प्रजनन क्षेत्र के 200 meter की दुरी के अन्दर ही उड़ते है।
• गटर या रस्ते पर जमा खराब पानी में कम प्रजनन करते है।
• पानी सुख जाने के बाद भी इनके अंडे 12 महीनो तक जीवित रह सकते है।
• किसी भी खुली जगह में जैसे की गड्डो में, गमले में या कचरे में पानी जमा न होने दे। अगर पानी जमा है तो उसमे मिटटी डाल दे।
• खिड़की और दरवाजे में जाली लगाकर रखे। शाम होने से पहले दरवाजे बंद कर दे।
• ऐसे कपडे पहने जो पुरे शरीर को ढक सके।
• रात को सोते वक्त मच्छरदानी लगाकर सोए।
• अन्य मच्छर विरोधी उपकरणों का इस्तेमाल करे जैसे की electric mosquito bat, repellent cream, sprays etc.
• अगर बच्चे खुले में खेलने जाते है तो उने शरीर पर mosquito repellent cream लगाए और पुर शरीर ढके ऐसे कपडे पहनाए।
• जहां पानी जमा हो उसमें केरोसिन तेल डाल दें और रोज घर में कीटनाषक का छिडकाव करें।
• पूरे शरीर को ढकने वाले कपडे पहनें और मच्छरदानी लगा कर सोएं।
• यदि कूलर का काम ना हो तो उसे सूखा कर रखें वरना उसका पानी रोज बदलते रहें। हफ्ते पानी बदलें।
• घर के आस-पास पानी जमा न होने दें गंदगी ना फैलने दें।

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