ये इंजेक्शन बचाएगा टेपवार्म के खतरे से

टेपवार्म से बचाने वालानई दिल्ली| इंडियन इम्युनोलॉजिकल्स लिमिटेड (आईआईएल) ने सुअरों को टेपवार्म से बचाने वाला टीका सिसवैक्स बाजार में उतारा। यह दुनिया का पहला टेपवार्म से बचाने वाला वैक्सीन है जो सुअरों में टेपवर्म के खिलाफ संघर्ष करता है। हालांकि इसमें मनुष्यों में मिर्गी के प्रभाव में अच्छी-खासी कमी लाने की संभावना है, जिस पर शोध जारी है।

टेपवार्म से बचाने वाला टीका

भारत में पशुओं के वैक्सीन की सबसे बड़ी कंपनी आईआईएल के प्रबंध निदेशक डॉ. के कुमार आनंद ने कहा, “आईआईएल अनुसंधान व विकास के काम हाथ में लेती है ताकि भिन्न बीमारियों के लिए किफायती समाधान मुहैया करा सके। मनुष्यों में होने वाली नई बीमारियों में सत्तर प्रतिशत का मूल जानवरों में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के ‘वन हेल्थ’ (मनुष्यों, जानवरों और पारिस्थितिकी के स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं) के तहत सिसवैक्स विकासशील विश्व में मिर्गी के मामलों में अच्छी-खासी कमी ला देगा।”

सिस्टीसेरोसिस एक पैरासाइटिक बीमारी है जो सुअर के मांस में मौजूद टेपवर्म के अंडे, टेनियासोलियम से होती है। यह एक जूनोटिक पैरासाइट है और इसके लिए सुअर इंटरमीडिएट होस्ट हैं। मनुष्य आमतौर पर कम पके सुअर के मांस, सब्जियों और अच्छी तरह न धोई गई हरी सब्जी में मौजूद अंडे के न पचने से संक्रमित होते हैं। सेंट्रल नर्वस सिस्टम में विकसित होने वाले गांठ से न्यूरो-सिस्टीसेरोसिस (एनसीसी) का कारण बनते हैं और यह मनुष्यों में मिर्गी के प्रमुख कारणों में से एक है।

खुले में शौच और सुअरों को अस्वास्थ्यकर स्थिति में रखने-पालने से टेपवर्म (टी. सोलियम) के प्रजनन की स्थितियां बनती हैं। भारत में सिस्टीसेरोसिस के मामले देश भर में होते हैं खासकर उत्तरी उत्तर प्रदेश और उत्तरपूर्वी राज्यों में। पशुवधशालाओं से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक पोरसिन सिस्टीसेरोसिस की मौजूदगी सभी सुअरों में 7 प्रतिशत से 12 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में हाल में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक सुअरों में इसकी मौजूदगी 26 प्रतिशत है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सिस्टीसेरोसिस को दुनिया भर में 17 ‘उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमरियों’ में से एक निर्धारित किया है। टेपवर्म (टी. सोलियम) का जीवनचक्र मनुष्यों और सुअरों के बीच लिंक पर निर्भर करता है। इस लिंक में किसी भी बाधा का नतीजा पैरासाइट का समापन हो सकता है। सुअरों के टीकाकरण से पैरासाइट का जीवनचक्र टूट सकता है और मनुष्यों के लिए संक्रमण के स्रोत को खत्म करना संभव हो सकता है।

पोर्क टेपवर्म (टी. सोलियम) के खिलाफ दुनिया का पहला वैक्सीन (सिसवैक्स) विकसित करने के लिए इंडियन इम्युनोलॉजिकल्स लिमिटेड ने डॉ. मार्शल लाइटओलर्स, मेलबर्न विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया और जीएएलवीमेड (ग्लोबल अलायंस फॉर वेट्रीनरी मेडिसिन) के साथ गठजोड़ किया है। आईआईएल ने भारत के साथ-साथ कई अन्य देशों जैसे स्पेन, पेरू आदि में इस उत्पाद के निर्माण और विपणन के लिए सघन जमीनी परीक्षणों के बाद लाइसेंस प्राप्त किया है। नेपाल, जांबिया, यूगांडा और तंजानिया में भी परीक्षण चल रहे हैं।

आईआईएल नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहयोगी कंपनी है।

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