कौन है वह नेता जो मोदी के बयानों को बता रहा बचकाना?

मुंबई| शिवसेना ने बुधवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) का भारत को ‘कांग्रेस मुक्त’ बनाने का सपना तीन राज्यों में मिट्टी में मिल गया और दो अन्य राज्यों में उसे मुंह की खानी पड़ी। सेना के मुखपत्र ‘सामना’ और ‘दोपहर का सामना’ के संपादकीय में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को जहां दरकिनार कर दिया गया है, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उत्कृष्टता(मेरिट) के चमकते सितारे हैं।

इसके विपरीत, पांच वर्ष पहले जब मोदी का नाम पहली बार प्रधानमंत्री के पद के लिए प्रस्तावित किया गया था, इन राज्यों में चुनाव हुए थे, जहां उन्होंने सफलतापूर्वक प्रचार किया और इस जीत को भाजपा के लिए ‘उनकी पवित्र शुरुआत’ माना गया था।

शिवसेना ने कहा है, “अब, वही प्रधानमंत्री हैं, लेकिन इन राज्यों में भाजपा को हार मिली है। इनका अजेय गढ़ छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश ढह गया। तेलंगाना और मिजोरम में भाजपा समाप्त हो गई है।”

संपादकीय के अनुसार, “कांग्रेस ने भाजपा से छत्तीसगढ़ छीन लिया है, जबकि इसके मुख्यमंत्री रमन सिंह वहां शक्तिशाली थे।”

शिवसेना ने कहा, “उसी तरह ‘मामाजी’ शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में मोदी से भी ज्यादा लोकप्रिय थे। कांग्रेस ने शेर को धर दबोचा और भाजपा को राज्य में आगे बढ़ने से रोक दिया।”

संपादकीय के अनुसार, “राजस्थान में, कांग्रेस आसानी से 140 सीटें पार कर सकती थी, लेकिन आपस में लड़ने की वजह से यह 100 पर सिमट गई। इसके बावजूद यहां कांग्रेस को सरकार बनाने से कोई नहीं रोक सकता।”

तेलंगाना में चंद्रशेखर राव ने दोबारा सत्ता प्राप्त किया और मिजोरम में एक धार्मिक संगठन एमएनएफ ने सत्ता में वापसी की।

शिवसेना ने कहा, “इन पांचों राज्यों ने ‘भाजपा मुक्त भारत’ का स्पष्ट संदेश दिया है। भाजपा को लगता था कि वह सभी चुनावों में जीत दर्ज करेगी और कोई और पार्टी उसके सामने टिक नहीं पाएगी। लेकिन यह बुलबुला फट गया..आप हमेशा बेवकूफ बनाकर जीत नहीं सकते।”

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संपादकीय के अनुसार, “मोदी ने काफी बचकाने बयान दिए, जो उनपर ही भारी पड़े, जैसे राहुल गांधी मुझे ‘भारत माता की जय’ बोलने से रोक रहे हैं और राम मंदिर निर्माण में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं’..उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी करने से पहले कभी भी गांधी परिवार से नहीं पूछा और मोदी मंदिर का वादा निभाने में असफल रहे।”

शिवसेना ने कहा है कि नवंबर 2016 में नोटबंदी का समर्थन करने वाले आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने परेशान होकर भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) से इस्तीफा दे दिया..भारत को उद्योगपतियों के दिमाग से चलाया जा रहा है और आरबीआई जैसी संस्था को कुचला जा रहा है। दुनिया में कहीं भी इस तरह का आर्थिक उठापटक नहीं देखा गया है।

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