जिस शहर से आते हैं लोकसभा स्पीकर वहां फेमस है ये टेस्टी कचौड़ी

17वीं लोकसभा के लिए कोटा के सांसद ओम बिड़ला को स्पीकर चुना गया है. उनके चुने जाने के बाद कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष और बंगाल से सांसद अधीर रंजन चौधरी ने उन्हें कोटा की कचौड़ी की याद दिलाई.

चौधरी ने कहा कि आपसे उम्मीद है कि आप संसद को कचौड़ी की तरह रहने देंगे, इसे खिचड़ी नहीं बनने देंगे. उन्होंने आगे यह भी कहा कि कोटा की कचौड़ी बहुत स्वादिष्ट होती है. क्या वाकई कोटा की कचौड़ी खाने में टेस्टी होती है?

जिस शहर से आते हैं लोकसभा स्पीकर वहां फेमस है ये टेस्टी कचौड़ी

ओम बिड़ला राजस्थान के कोटा से सांसद हैं और दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीते हैं. इससे पहले वह राजस्थान सरकार में संसदीय सचिव रहे हैं. कोटा को आईआईटी और मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाना जाता है. यहां लाखों की संख्या हर साल अपनी किस्मत संवारने के लिए बच्चे आते हैं.

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कोटा शहर में पिज्जा-बर्गर से लेकर हर ब्रांड के आउटलेट हैं. पर ऐसा माना जाता है कि यहां की कचौड़ी का कोई सानी नहीं है. यही कारण है कि हर कोटावासी के मुंह में कचौड़ी का स्वाद जरूर लगा होगा.

इसकी खासियत इसी पता चलती है पूरे कोटा शहर में 350-400 दुकानों और इतने ही ठेलों पर कचौड़ी का कारोबार फैला है. एक अनुमान लगाएं तो एकदिन में तकरीबन 4-5 लाख कचौड़ी की खपत होती है.

जानकार बताते हैं कि इंदौरी पोहा, गुजरात अल्फांसों आम और दार्जिलिंग टी की तरह कोटा की कचौरी या कचौड़ी भी जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन के तौर पर दुनिया में पहचान रखती है. हींग के तड़के वाली कचौड़ी का स्वाद लेने के लिए दुकानों पर सुबह से ही लाइन लग जाती है.

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कोटा कचौड़ी को बनाने के लिए भिगोई हुई उड़द की दाल में हींग का तड़का लगाया जाता है. फिर इसमें कुछ गरम मसाले और खड़ी मिर्च डाली जाती है. तैयार भरावन को मैदे की लोइयों में भरकर तला जाता है. ध्यान इस बात का रखा जाता है कि इसे तेज आंच गर्म तेल पर तला जाता है.

फिर तैयार होती है जायकेदार कचौड़ी. 80-90 ग्राम की कचौड़ी में 50-60 ग्राम तक दाल का मसाला होता है. खस्ता कचौड़ी का स्वाद चटनी के साथ और भी बढ़ जाता है.

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