जानें क्या है प्रदोष व्रत और इसका महत्व  

प्रदोष व्रत को हम त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जानते हैं। यहाँ आप पाएंगे आने वाली प्रदोष व्रत तिथि 2019 में। यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है। पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ और लम्बी आयु की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत एक साल में कई बार आता है। प्रायः यह व्रत महीने में दो बार आता है।

प्रदोष व्रत

क्या है प्रदोष व्रत?

प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी मनाते है। प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है। सूर्यास्तके बाद और रात्रि के आने से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस व्रत में भगवान शिव कि पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में व्रत, पूजा-पाठ, उपवास आदि को काफी महत्व दी गयी है। ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से व्रत रखने पर व्यक्ति को मनचाहे वस्तु की प्राप्ति होती है। वैसे तो हिन्दू धर्म में हर महीने की प्रत्येक तिथि को कोई न कोई व्रत या उपवास होते हैं लेकिन लेकिन इन सब में प्रदोष व्रत की बहुत मान्यता है।

शास्त्रों के अनुसार महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि में शाम के समय को प्रदोष कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव प्रदोष के समय कैलाश पर्वत स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं। इसी वजह से लोग शिव जी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन प्रदोष व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से सारे कष्ट और हर प्रकार के दोष मिट जाते हैं। कलयुग में प्रदोष व्रत को करना बहुत मंगलकारी होता है और शिव कृपा प्रदान करता है। सप्ताह के सातों दिन किये जाने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष को कई जगहों पर अलग-अलग नामों द्वारा जाना जाता है। दक्षिण भारत में लोग प्रदोष को प्रदोषम के नाम से जानते हैं।

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क्या है प्रदोष व्रत?

प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को त्रयोदशी मनाते है। प्रत्येक पक्ष की त्रयोदशी के व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है। सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आने से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है। इस व्रत में भगवान शिव कि पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में व्रत, पूजा-पाठ, उपवास आदि को काफी महत्व दी गयी है। ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से व्रत रखने पर व्यक्ति को मनचाहे वस्तु की प्राप्ति होती है। वैसे तो हिन्दू धर्म में हर महीने की प्रत्येक तिथि को कोई न कोई व्रत या उपवास होते हैं लेकिन लेकिन इन सब में प्रदोष व्रत की बहुत मान्यता है।

शास्त्रों के अनुसार महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि में शाम के समय को प्रदोष कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव प्रदोष के समय कैलाश पर्वत स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं। इसी वजह से लोग शिव जी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन प्रदोष व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से सारे कष्ट और हर प्रकार के दोष मिट जाते हैं। कलयुग में प्रदोष व्रत को करना बहुत मंगलकारी होता है और शिव कृपा प्रदान करता है। सप्ताह के सातों दिन किये जाने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। प्रदोष को कई जगहों पर अलग-अलग नामों द्वारा जाना जाता है। दक्षिण भारत में लोग प्रदोष को प्रदोषम के नाम से जानते हैं।

 

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