जानिए इस बार बजट में अगर रिटायरमेंट की उम्र बढ़ी तो क्या पड़ेगा असर…

देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। बजट पेश करने के एक दिन पहले यानी गुरुवार को वित्तमंत्री ने संसद में देश की आर्थिक स्थिति और दिशा बताने वाला आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया था। इस आर्थिक सर्वे को मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने तैयार किया। सर्वे में भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत रहने का अनुमान जाहिर किया गया और संभावित चुनौतियों के विषय में भी बताया गया।

जानिए इस बार बजट में अगर रिटायरमेंट की उम्र बढ़ी तो क्या पड़ेगा असर...

 

यह सर्वे केवल सिफारिश है जिसे लागू करने की कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती, यही वजह है कि सरकार इसे केवल निर्देशात्मक रूप में लेती है। इसी सर्वे में देश में रिटायरमेंट के लिए तय उम्र सीमा को बढ़ाने की भी बात कही गई है।

देखा जाये तो संसद में पेश किये गए आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि भारत में व्यक्ति के 60 साल तक स्वस्थ रहने की उम्मीद की जाती है (अगर उसे कोई खतरनाक बीमारी या चोट न लग जाए) और बीते कुछ सालों में भारत में अब यह उम्र पुरुष और महिला दोनों के संदर्भ में बढ़ गई है।

वहीं सर्वे में कहा गया है कि बीते कुछ सालों में महिलाओं की उम्र 13.3 साल और पुरुषों के लिए 12.5 वर्ष बढ़ी है। अगर इसका औसत निकाला जाए तो 12.9 होता है। जिसका मतलब ये हुआ कि मौजूदा वक्त में भारत में औसतन एक शख्स करीब 72 वर्ष की उम्र तक स्वस्थ रहता है। हालांकि यह अभी भी कई विकसित और उभरते हुए देशों की तुलना में काफी कम है।

ऐसे में बढ़ती हुई वृद्ध जनसंख्या और पेंशन निर्भरता पर बढ़ते हुए दबाव को देखते हुए बहुत से देशों ने रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ा दिया है। अब जबकि भारत में महिला और पुरुष की उम्र भी बढ़ गई है तो भारत में दूसरे देशों की तरह रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। सर्वे में कहा गया कि उम्र में बदलाव को देखते हुए नीति निर्माताओं को नई नीति बनानी चाहिए. इससे रिटायरमेंट की आयु में चरणबद्ध तरीके से वृद्धि करने के लिए भी योजनाएं बनानी होंगी।

खबरों के मुताबिक भारत में अगले दो दशकों में जनसंख्या वृद्धि काफी धीमी होगी। बड़ी संख्या में युवा आबादी की वजह से देश को फायदा मिलेगा, लेकिन 2030 की शुरुआत से कुछ राज्यों में जनसंख्या स्वरूप में बदलाव से अधिक आयु वाले लोगों की तादाद भी बढ़ेगी।

सर्वे के अनुसार देश में फर्टिलिटी रेट में आई गिरावट के कारण 19 साल के आयु वर्ग की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। 2021-31 के दौरान कामकाजी जनसंख्या 9.7 मिलियन प्रति वर्ष और 2031-41 में 4.2 मिलियन प्रति वर्ष बढ़ेगी। उम्र की ओर ध्यान देने के लिए नीति निर्माताओं को नीति बनानी चाहिए।

लेकिन आर्थिक मामलों के जानकार भरत झुनझनवाला इस मामले पर दो तथ्य रखते हैं। वो कहते हैं कि इस बात के दो पक्ष हैं. एक तो ये कि जब सरकार किसी को रिटायरमेंट देती है तो उसे एक ही सरकारी पद के लिए दो लोगों को भुगतान करना पड़ता है। पहला तो उस शख्स को जो पेंशनभोगी है और दूसरा उसे जिसे उस व्यक्ति की जगह रखा गया है। ऐसे में सरकार पर भुगतान का बोझ बढ़ जाता है।

झुनझुनवाला कहते हैं कि ऐसे में सरकार की मंशा ये रही होगी कि जो पेंशन का बोझ है उसे कम किया जाए। वो कहते हैं, “अब इसमें दूसरा पक्ष यह है कि अगर रिटायरमेंट जल्दी कर देते हैं तो नए जॉब्स तो बनेंगे ही लेकिन अब नए जॉब्स के लिए कितना खर्च किया जाए यानी कि एक नए आदमी को दस साल नया रोजगार देने के लिए आप एक पुराने आदमी को दस साल पेंशन दें, ये जमता नहीं है। ऐसे में यह रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ाया जाना ठीक ही है। सरकार के ऊपर वजन घटेगा। और सरकारी नौकरियां अब बनती भी कितनी हैं।”

झुनझुनवाला कहते हैं उन्हें उम्मीद है कि यह जो सलाह दी गई है वो सरकार के लिहाज से तो बेहतर ही है और ऐसा लगता है कि सरकारी कर्मचारी ऐसा जरूर चाहेंगे भी। तो संभव है कि आने वाले समय में यह लागू हो जाए।

आर्थिक मामलों के जानकार डीके मिश्रा का मानना है कि रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने से फायदे कम और नुकसान ज्यादा होंगे। एक बड़ी जनसंख्या वाला भारत देश जहां नौजवान नई टेक्नॉलजी और ज्ञान के साथ बढ़ रहे हैं उनकी क्षमता का फायदा देश को नहीं मिल पाएगा। साथ में रोजगार पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।

ऐसी बढ़ती हुई वृद्ध जनसंख्या और पेंशन वित्त-पोषण पर बढ़ते दबाव को देखते हुए हुए कई देशों ने रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ाना शुरू कर दिया है। जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका में रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ा दिया गया है। कुछ देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया और यूके में महिलाओं को पुरुषों से पहले रिटायर कर देते हैं लेकिन अब नियमों में बदलाव करके दोनों के लिए उम्र को बराबर किया गया है।

दरअसल कई विकसित देशों ने प्री-सेट टाइमलाइन के अनुसार रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ाते रहने के संकेत दिए हैं। जैसे कि ब्रिटेन में साल 2020 तक पेंशन की उम्र पुरुष और महिला के लिए 66 साल हो जाएगी। कई देशों में रिटायरमेंट की उम्र को लेकर सुधार किये गए हैं और जहां नहीं किये गए हैं वहां ये सुधार विचाराधीन हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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