चाणक्य नीति September 22, 2016 - 12:08 am Less than a minute जो अपने निश्चित कर्मों अथवा वास्तु का त्याग करके, अनिश्चित की चिंता करता है, उसका अनिश्चित लक्ष्य तो नष्ट होता ही है, निश्चित भी नष्ट हो जाता है September 22, 2016 - 12:08 am Less than a minute