भाई को न बचा पाया डॉक्टर तो घर में जलाई चिता और झोंक दी सारी डिग्रियां    

घर में अंतिम संस्कारकुशीनगर भाई की मौत के बाद घर में अंतिम संस्कार करने वाले मामले ने सभी को हैरत में डाल दिया है। शव का दाह संस्कार करने वाला भाई पेशे से डॉक्टर है। उसने चिता में अपनी डिग्रियां, पैसे, किताबे और सिलेंडर रखकर आग लगा दी। सिलेंडर फटने पर लोगों को इस बात की जानकारी हुई। संज्ञान में मामला आने पर पुलिस मौके पर पहुंची। मौके पर अधजले शव के साथ डाक्टर बेहोश मिला। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।

घर में अंतिम संस्कार       

ख़बरों के मुताबिक, रामकोला कस्बे में रेलवे स्टेशन के पास डॉक्टर मनोज आनंद का दवाखाना है। दवाखाने के पास ही आवास भी है। यहां डॉक्टर अपने भाई छवि आनंद के साथ रहता था।

स्थानीय लोगों का कहना है कि दोनों भाई एक दूसरे से बेहद प्रेम करते थे। दोनों दो बदन एक जान की तरह रहते थे। दुर्भाग्य वश छवि आनंद की तबीयत खराब रहने लगी। डॉ मनोज ने पहले अपने भाई का ईलाज खुद किया लेकिन तबीयत में सुधार नहीं होने पर वह अपने भाई का ईलाज गोरखपुर के चिकित्सकों से कराने लगा।

इसके बावजूद भी छवि आनंद के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ और रविवार को उसकी मौत हो गई। भाई की मौत के बाद वह हताश हो गया।

शव के दाहसंस्कार करने की बात पर अगले दिन यानी सोमवार को दाहसंस्कार करने की बात कहकर डॉक्टर ने सबको घर भेज दिया।

रविवार की रात को बारह बजे के बाद पहले उसने शराब पी और फिर भाई के शव पर अपनी एमबीबीएस की डिग्री, चिकित्सा विज्ञान की किताबें , हजारों रुपये व गैस सिलेंडर रखकर आग लगा दिया।

लोगों की बात सही मानी जाए तो भाई की मौत के बाद डॉ। मनोज बेहद दुखी हैं। उन्हें आत्म ग्लानी है कि डॉक्टर होने के बावजूद वह अपने भाई को नहीं बचा सका।

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