ओडिशा के कार्यकर्ता को गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार

गोल्डमैन पर्यावरणसैन फ्रांसिस्को| पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले देश के अग्रणी पर्यावरणविद प्रफुल्ल समंतारा को सोमवार को एशिया क्षेत्र के लिए गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई। प्रफुल्ल को ओडिशा के डोंगरिया कोंध आदिवासियों के कल्याण के लिए काम करने, उनकी भूमि और संस्कृति के संरक्षण के लिए किए गए उत्कृष्ट कार्य के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया।

गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार

प्रफुल्ल ‘ग्रीन नोबेल’ के नाम से लोकप्रिय इस पुरस्कार को जीतने वाले भारत के छठे व्यक्ति हैं। प्रफुल्ल ने मूलवासी डोंगरिया कोंध आदिवासियों के भूमि अधिकारों के लिए 12 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी और उनके पूजनीय स्थल नियामगिरी पर्वत को खनन से बचाया।

बहुराष्ट्रीय खनन कंपनी वेदांता रीसोर्सेज ने इस पहाड़ी क्षेत्र में मौजूद एल्यूमिनियम के खनन का ठेका ले रखा था।

प्रफुल्ल की कानूनी लड़ाई का ही नतीजा रहा कि पूरे देश में स्थानीय ग्राम परिषद स्थापित करने का अभूतपूर्व फैसला आया, जो अपने क्षेत्र में खनन गतिविधियों से संबंधित फैसले लेता है। इससे आदिवासियों को अपनी भूमि, जीवन और भविष्य के बारे में बेहतर फैसले लेने का नियंत्रण हासिल हुआ।

प्रफुल्ल से पहले मेधा पाटकर, एम. सी. मेहता, राशिदा बी और चंपा देवी शुक्ला को संयुक्त रूप से तथा रमेश अग्रवाल को इस पुरस्कार से नवाजे जाने वाले भारतीय हैं।

यह पुरस्कार दुनिया के छह मानव सभ्यता वाले इलाकों – अफ्रीका, एशिया, यूरोप, द्वीप एवं द्विपीय देश, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी एवं मध्य अमेरिका – में जमीनी स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले लोगों को दिया जाता है।

इस वर्ष अन्य क्षेत्रों से इस पुरस्कार के विजेताओं में स्लोवेनिया के उरोस मासेर्ल, अमेरिका के मार्क लोपेज, ग्वाटेमाला के रोड्रिगो टॉट, कांगो के रॉड्रिग मुगारुका काटेंबो और आस्ट्रेलिया के वेंडी बोमैन शामिल हैं।

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