गेहूं से बनी दो चीज, एक फायदेमंद एक नुकसानदायक, जानें क्यों

आटा और मैदा दोनों ही ऐसी चीजें हैं जो हर घर की किचन में पाई जाती हैं। दुनिया में खाने की करीब 90 प्रतिशत चीजें आटे और मैदे से ही बनती हैं।

आपने अपने पेरेंट्स या आसपास के लोगों से जरूर सुना होगा कि आटा सेहत के लिए अच्छा है लेकिन मैदा सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है।

मैदा और गेहूं

मैदे से बनी चीजें खाने यह मैदा आंतों से चिपक जाता है और फिर कई गंभीर रोगों को जन्म देता है। हालांकि मैदा खाने से शरीर को तुंरत नुकसान नहीं होता है, जबकि कुछ समय बाद वाकई इससे शरीर को कई तरह के हानिकारक प्रभाव पहुंचते हैं।

लेकिन क्या आपने आजतक कभी ये सोचा कि मैदा भी आटे की तरह गेंहू से ही बनता है, इसके बावजूद यह सेहत के लिए नुकसानदायक क्यों हैं? आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर आटा सेहत के लिए अच्छा क्यों है और मैदा सेहत के लिए नुकसानदायक क्यों है?

आखिर मैदा नुकसानदायक क्यों है?

कई लोगों को यह पता ही नहीं होता है कि मैदा भी आटे की तरह गेंहू से बनता है। इसके बावजूद आटे को सेहत के लिए बहुत अच्छा और मैदे को सेहत के लिए बहुत बुरा कहा जाता है। दरअसल, ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि दोनों का बनाने का तरीका बहुत अलग होता है।

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जब आटा तैयार किया जाता है तो गेंहू की ऊपरी परत को हटाया नहीं जाता है। साथ ही आटे को थोड़ा दरदरा भी पीसा जाता है। ऐसा करने से आटे में फाइबर की मात्रा बरकरार रहती है और इससे आटे में फोलिक एसिड, विटमिन ई, विटमिन बी-6 और बी- कॉम्प्लेक्स जैसे विटमिन और मैग्नीशियम, मैग्नीज़, जिंक जैसे कई मिनरल्स बने रहते है। जो हमारी सेहत के लिए बहुत लाभकारी हैं।

जबकि मैदे के साथ ऐसा नहीं होता है। मैदा बनाते वक्त गेंहू की ऊपरी परत को पूरी तरह से हटा दिया जाता है। इसके साथ ही इस गोल्डन परत के अंदर जो गेंहू का भाग होता है उसे इतना बारीक पीसा जाता है कि उसके सभी पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैं और यह सेहत के लिए किसी भूसे से कम नहीं रहता है।

मैदा खाने के नुकसान

मैदा जितना सफेद और साफ होता है, वैसा पिसे हुए गेंहूं का रंग नहीं होता। ज्यादा सफेदी और चमक लाने के लिए गेंहूं को पीसने के बाद हानिकारक केमिकल्स से ब्लीच किया जाता है, जिसके बाद मैदा तैयार होता है। कैल्शियम परऑक्साइड, क्लोरीन, क्लोरीन डाई ऑक्साइड आदि ऐसे ही ब्लीचिंग एजेंट हैं, जिनका इस्तेमाल मैदे को ब्लीच करने में किया जाता है। इन केमिकल्स का आपकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

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मैदा बहुत चिकना और महीन होता है, साथ ही इसमें डाइट्री फाइबर बिल्कुल नहीं होता है इसलिए इसे पचाना आसान नहीं होता। सही से पाचन न हो पाने के कारण इसका कुछ हिस्सा आंतों में ही चिपक जाता है और कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकता है। इसके सेवन से अक्सर कब्ज की समस्या हो जाती है।

मैदा में स्‍टार्च की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसलिए इसे खाने से मोटापा बढ़ता है। बहुत ज्‍यादा मैदा खाने से शरीर का वजन बढ़ना शुरु हो जाता है। यही नहीं इससे कोलेस्‍ट्रॉल और ब्‍लड में ट्राइग्‍लीसराइड स्‍तर भी बढ़ता है। इसलिए अगर आप अपना वजन कम करना चाहते हैं तो यदि अपने आहार में से मैदे को हमेशा के लिये हटा दें। दे में भारी मात्रा में ग्‍लूटन पाया जाता है जो खाने को लचीला बना कर उसको मुलायम टेक्‍सचर देता है, फूड एलर्जी का कारण बनता है।

मैदा खाने से शुगर लेवल तुरंत ही बढ़ जाता है, क्‍योंकि इसमें बहुत ज्‍यादा हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्‍स होता है। तो अगर आप बहुत ज्‍यादा मैदे का सेवन करते हैं, तो पैंक्रियास की फिक्र करना शुरु कर दें।

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