कोरोना वायरस के बीच यह कैसी दिक्कत, लोगों को हो रही परेशानी

बिहार में कोरोना वायरस के कारण आटे की मांग बढ़ती ही जा रही है। धीरे- धीरे आटा का मांग को लेकर लोग हाहाकार मचा रहे हैं। 35 रुपए किलो मिलने वाला आटा 45 रुपए का मिल रहा है।

पटना के जगदेव पथ की रहने वाली रेणु देवी कहती हैं कि उनके इलाके में आटा नहीं मिल रहा है. कुछ दुकानों में आटा है भी तो वहां कीमत 35 से 40 रुपये किलोग्राम वसूला जा रहा है. पूछने पर बताते हैं कि उनको थोक बाजार से आटा महंगा मिल रहा है. एक ब्रांडेड कंपनी के आटा वितरक कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण आटे की आपूर्ति कम हो गई है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इससे कीमत में वृद्धि नहीं होना चाहिए. उन्होंने भी माना कि आटे की मांग बढ़ी है. एक बड़े आटा मिल के मालिक कहते हैं कि आटा की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि ब्रांडेड कंपनी की तुलना में लोकल कंपनी के आटे किसी मामले में कम नहीं होते हैं, लेकिन लोग ब्रांडेड कंपनी के पीछे भागते हैं. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) केंद्र सरकार के निर्देश के बाद बिहार के फ्लोर मिल्स व खाद्यान्न के थोक व्यापारियों को एक माह में 55 हजार मेट्रिक टन गेहूं निर्धारित दर पर देगा. लॉकडाउन के दौरान व गेहूं की नई फसल के अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक बाजार में आने तक आटे की किल्लत नहीं हो, इसलिए बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से एफसीआई के जरिए गेहूं दिलाने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा, "पहली खेप के तौर पर एक सप्ताह के लिए पटना के 13 व अन्य जिलों के 80 फ्लोर मिल व थोक व्यापरियों को एफसीआई की ओर से 22,800 मेट्रिक टन गेहूं उपलब्ध कराया जा रहा है." उन्होंने कहा कि एफसीआई के जरिए बिहार के पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, रोहतास, गया, भागलपुर, जमुई, हाजीपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, दरभंगा, सहरसा आदि जिलों के फ्लोर मिल व थोक व्यापारियों को गेहूं उपलब्ध कराया जाएगा.

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन से पहले आटा जहां खुले में 24 से 26 रुपये किलो तक बिक रहा था, वहीं अब कई जगहों पर 35 से 45 रुपये किलो की दर पर आटा बिक रहा है.

 

पटना के जगदेव पथ की रहने वाली रेणु देवी कहती हैं कि उनके इलाके में आटा नहीं मिल रहा है. कुछ दुकानों में आटा है भी तो वहां कीमत 35 से 40 रुपये किलोग्राम वसूला जा रहा है. पूछने पर बताते हैं कि उनको थोक बाजार से आटा महंगा मिल रहा है.

एक ब्रांडेड कंपनी के आटा वितरक कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण आटे की आपूर्ति कम हो गई है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इससे कीमत में वृद्धि नहीं होना चाहिए. उन्होंने भी माना कि आटे की मांग बढ़ी है.

एक बड़े आटा मिल के मालिक कहते हैं कि आटा की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि ब्रांडेड कंपनी की तुलना में लोकल कंपनी के आटे किसी मामले में कम नहीं होते हैं, लेकिन लोग ब्रांडेड कंपनी के पीछे भागते हैं.

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) केंद्र सरकार के निर्देश के बाद बिहार के फ्लोर मिल्स व खाद्यान्न के थोक व्यापारियों को एक माह में 55 हजार मेट्रिक टन गेहूं निर्धारित दर पर देगा. लॉकडाउन के दौरान व गेहूं की नई फसल के अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक बाजार में आने तक आटे की किल्लत नहीं हो, इसलिए बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से एफसीआई के जरिए गेहूं दिलाने का आग्रह किया था.

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उन्होंने कहा, “पहली खेप के तौर पर एक सप्ताह के लिए पटना के 13 व अन्य जिलों के 80 फ्लोर मिल व थोक व्यापरियों को एफसीआई की ओर से 22,800 मेट्रिक टन गेहूं उपलब्ध कराया जा रहा है.”

उन्होंने कहा कि एफसीआई के जरिए बिहार के पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, रोहतास, गया, भागलपुर, जमुई, हाजीपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, दरभंगा, सहरसा आदि जिलों के फ्लोर मिल व थोक व्यापारियों को गेहूं उपलब्ध कराया जाएगा.

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