केजरीवाल ने विज्ञापन में उड़ाई सुप्रीम कोर्ट की धज्जियां, अब भुगतेंगे 97 करोड़ का दंड

केजरीवाल के विज्ञापन नई दिल्‍ली। साल 2015-16 के दौरान दिए गए विज्ञापनों को सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के खिलाफ पाए जाने के बाद आम आदमी पार्टी को 97 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि चुकाने को कहा गया है। दिल्‍ली के उप-राज्‍यपाल अनिल बैजल ने यह आदेश जारी किया है।

देश के शीर्ष ऑडिटर, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने महीनों पहले अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दिल्‍ली की अर‍विंद केजरीवाल सरकार ने पब्लिसिटी पर जो 526 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, वह पार्टी को प्रमोट करने के लिए था, न कि सरकार के। विभिन्‍न अखबारों, एजेंसियों में दिए गए इन विज्ञापनों में मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तस्‍वीर का प्रयोग किया गया था।

बैजल ने न सिर्फ मुख्‍य सचिव से धन की उगाही करने को कहा है, बल्कि इस मामले की जांच के आदेश भी दे दिए हैं। 2015 के दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल करने के बाद AAP पर ‘जनता के धन का दुरुपयोग’ करने का आरोप लगा था।

पिछले साल मई में, कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल सरकार ने तीन महीनों के भीतर विज्ञापनों पर 100 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। एक आरटीआई का हवाला देते हुए कांग्रेस ने कहा था कि ‘केजरीवाल इस पैसे का उपयोग दिल्‍ली के लोगों के फायदे के लिए कर सकते थे, मगर उन्‍होंने ऐसा किया नहीं।’

कुछ दिन बाद, कांग्रेस नेता अजय माकन ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा बनाई गई तीन सदस्‍यीय कमेटी के सामने एक शिकायत भी दर्ज कराई थी।

सीएजी ने पिछले साल 55 पन्‍नों की अपनी रिपोर्ट में दिल्‍ली सरकार पर जनता के पैसों को उन टीवी एड्स के लिए इस्‍तेमाल करने का आरोप लगाया था जिसमें एक शख्‍स को झाड़ू (पार्टी का चुनाव चिन्‍ह) लगाते हुए दिखाया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि विज्ञापनों में राज्‍य सरकार की कई उपलब्धियों को मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी प्रयासों की बदौलत बताया था।

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