कश्मीर पर महबूबा मुफ़्ती का झंडे वाले बयान देने के बाद मचा हंगामा,विश्व हिन्दू परिषद ने दी क़ानूनी कार्यवाई करने की चेतावनी

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती के द्वारा कश्मीर पर विवादित बयान दिए जाने के बाद बवाल मच गया है। भारतीय जनता पार्टी ने महबूबा मुफ़्ती को पाकिस्तान चले जाने के की सलाह देते हुए कहा है कि दुनिया की कोई भी ताकत अब जम्मू कश्मीर में अलग से झंडा नही लगा सकती। वहीँ दूसरी ओर विश्व हिन्दू परिषद उनके खिलाफ क़ानूनी कार्यवाई करने की बात कही है। साथ ही विहिप ने कहा कि अब नए जम्मू-कश्मीर में महबूबा के पुनर्वास की कोई जगह नहीं बची है।

विश्व हिन्दू परिषद के प्रदेश कार्यकारी प्रधान राजेश गुप्ता ने कहा कि महबूबा मुफ़्ती ने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते हुए भारत सरकार को डकैत बताया है। महबूबा मुफ़्ती अपना मानसिक संतुलन खो बैठी हैं। महबूबा ने कश्मीर में अपना राजनीतिक आधार खो दिया है। जम्मू-कश्मीर की जनता अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के पक्ष में रही है। महबूबा के पास अपने पुनर्वास के लिए कोई चारा नहीं बचा है। श्री राम मंदिर के मुद्दे का उल्लेख  करके महबूबा ने सर्वोच्च न्यायालय का अनादर करने का प्रयास किया है।

वहीँ चौदह महीने तक नजरबंद रहीं पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने रिहा होते ही कश्मीर घाटी में अलगाववाद को हवा देनी शुरू कर दी है। नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता एवं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला के चीन की मदद से 370 बहाल करवाने वाले बयान के बाद महबूबा मुफ़्ती ने भी शुक्रवार को अपनी अलगाववादी सोच स्पष्ट कर दी। प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि आज भारत के साथ वह सहज नहीं है। जम्मू कश्मीर के झंडे की बहाली तक कोई भी झंडा न उठाने वाले बयान  के बाद ही महबूबा मुफ़्ती  चौतरफा घिरती हुई नजर आ रही है।

वही पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में होने वाले चुनावों में पार्टी के शामिल होने पर फैसला शनिवार को गठबंधन की बैठक में होगा। जब पीडीपी अध्यक्ष से पूछा गया कि क्या चुनाव नहीं लड़ना भाजपा के लिए खाली मैदान छोड़ना होगा तो उन्होंने इसे काल्पनिक सवाल बताते हुए कहा, हम सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए फैसला लेंगे। फारुक अब्दुल्ला हमारे नेता हैं, इसलिए बैठक में सबकी राय जानने के बाद ही फैसला होगा।

महबूबा ने कहा,कश्मीर मसले का हल निकालने की जरूरत है। हमारी पार्टी का यही मकसद है कि जम्मू-कश्मीर को इस दलदल से निकालकर अमन का वातावरण बनाना है.

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