एक बार फिर दिल्ली में मंडराया खतरा , किसी ने छोड़ा आशियाना, तो किसी का नष्ट हुआ जन -जीवन…

दिल्ली में एक बार फिर खतरा मंडरा रहा हैं। बतादें की इस साल दिल्ली में बाढ़ का खतरा अधिक बढ़ता हुआ नज़र आ रहा हैं। देखा जाये तो यमुना नदी लगातार तीसरे दिन खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।

 

 

खबरो के मुताबिक मंगलवार को दिनभर जलस्तर बढ़ने के बाद बुधवार को भी लगातार नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। जहां मंगलवार रात रात 9 बजे तक यह लाल निशान पार कर 206.40 मीटर तक पहुंच गया था। वहीं बुधवार को यह 206.60 मीटर पहुंच गया है।

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वहीं नई दिल्ली के यमुना खादर के अपने खेत में चारपाई पर लेटे जगदीश का कहना है कि अभी तो हमारी खाट के नीचे पानी आया ही नहीं है। इसलिए यहां से जाने का कोई मतलब नहीं। जब पानी हमारी चारपाई के नीचे आएगा, तब देखा जाएगा।

जगदीश ही नहीं, उनके जैसे करीब तीन हजार परिवारों के लोग यमुना खादर इलाके में अपनी झुग्गियों में रह रहे हैं। बाढ़ से प्रभावित होने वाले इलाकेे में जाकर देखा तो पाया कि कहीं स्कूल चल रहे हैं तो कहीं लोग रोजमर्रा की जिंदगी के लिए गुजर-बसर का इंतजाम कर रहे हैं।

किसी को यमुना में आने वाली बाढ़ की परवाह नहीं है। यह बात अलग है कि सरकार ने इनके जैसे बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए इंतजाम किए हैं।
यमुना खादर ने अभी बाढ़ को लेकर हलचल भी नहीं है। बाढ़ आने की सरकारी चेतावनियों के बीच लोगों की जिंदगी आम ढर्रे पर है। रोज की तरह बच्चों की क्लास चल रही थी। करीब 50 बच्चे पढ़ाई में लगे थे। वहीं, किसान खेतों में फसलों की देखरेख करते दिखे।

दिलचस्प यह कि नदी के तेज बहाव से बामुश्किल 50 मीटर दूर किसान खेत के बांध की ऊंचाई इसलिए बढ़ाते दिखे कि पानी बढ़ने पर उनकी सब्जियों की फसल बच जाए। करीब तीस साल से यमुना खादर में खेती कर रहे जगदीश बाबू बताते हैं कि हर साल की यही कहानी है।

साल 2010 में घर तक एक बार पानी आया था। इससे एक दिन के लिए पुश्ते पर जाना पड़ा था। बाकी सालों में हंगामा ज्यादा मचता है। हमारे यहां हकीकत में ज्यादा कुछ नहीं होता। इसीलिए हमने इस बार भी सिविल डिफेंस वालों से बोल दिया है कि खाट के नीचे जब पानी आएगा, तभी अपना घर छोडूंगा।

मुआवजा अगर मिला भी तो खेत के मालिक के खाते में जाएगा। उसमें से हमें एक पाई भी नहीं मिलेगी। बंधे की ऊंचाई इसलिए बढ़ा रहे हैं, जिससे सब्जियां बच जाएं। हम तो अपना काम कर दे रहे हैं, बाकी यमुना मइया की मरजी।

दरअसल एक सिविल डिफेंस कर्मी का कहना हैं की हम पिछले तीन दिन से यहां ड्यूटी दे रहे हैं। जब लोग अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं तो उनको बाहर कैसे लाया जा सकता है। फिर भी, पुश्ते के साथ टेंट लगा दिए गए हैं। अगर उनके घरों में पानी भरता है तो यहां रहने में दिक्कत नहीं होगी।

 

 

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