इस वजह से निकाले गए खेतों में काम करने वाली महिलाओं के गर्भाशय , जांच के आदेश

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को कहा कि उनके मंत्रालय के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति बीड जिले में गर्भाशय निकालने के कई मामलों की जांच करेगी।

शिवसेना के सदस्य नीलम गोरहे ने राज्य विधान परिषद में इस मुद्दे को उठाते हुये कहा कि बीड जिले में गन्ने के खेत में काम करने वाली औरतों के गर्भाशय निकाल लिए गए ताकि माहवारी के चलते उनके काम में ढिलाई न आये और जुर्माना न भरना पड़े।

इसका जबाव देते हुये शिंदे ने सदन को बताया कि बीते तीन साल में बीड जिले में 4,605 महिलाओं के गर्भाशय निकाल दिए गए। बीड जिले के सिविल सर्जन की अध्यक्षता में गठित समिति ने पाया कि ऐसे आपरेशन 2016-17 से 2018-19 के बीच 99 निजी अस्पतालों में किए गए।

उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं के गर्भाशय निकाले गए हैं उनमें से कई गन्ने के खेत में काम करने वाली मजदूर नहीं हैं।

मंत्री ने सदन को बताया कि जिले में कुदरती तरीके से होने वाले प्रसवों की संख्या सीजेरियन तरीके से होने वाले प्रसवों की संख्या से कहीं अधिक है।

उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव वाली समिति में तीन गाइकोनोलॉजिस्ट और कुछ महिला विधायकों के प्रतिनिधि होंगे। यह तथ्य खोजी समिति दो महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

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राज्य सरकार ने सभी चिकित्सकों को आदेश दिया था कि वे अनावश्यक रूप से गर्भाशय नहीं निकालें।

राष्ट्रीय महिला आयोग ने अप्रैल में इस मामले के प्रकाश में आने के बाद राज्य के मुख्य सचिव को एक नोटिस जारी किया था।

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