आम लोगों के लिए खुला अक्षयवट, सीएम योगी ने टेका माथा

रिपोर्ट- सैय्यद रजा

प्रयागराज। इस बार का कुंभ कई मायने में अहम हैं, इस बार के कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे बड़ी सौगात प्राचीन अक्षय वट के दर्शन के तौर पर मिल गई है।

अकबर के किले में कैद अक्षय वट सदियों से आम आदमी की पहुंच से दूर था सबसे बड़ी बात यह है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद और आज योगी आदित्यनाथ द्वारा दर्शन करने के बाद अब अक्षयवट को आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया है । इस मौके पर सूबे के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य,मंन्त्री नंद गोपाल गुप्ता समेत कई नेता मौजूद रहे।

सीएम योगी ने आज कुंम्भ में आने वाले श्राद्धालुओं को बड़ी सौगात दी है । योगी आदित्यनाथ ने आज अक्षयवट का दर्शन किया और माथा टेका।

बता दें अक्षय वट मुगल शासक अकबर के किले में मौजूद है। प्रलय और सृष्टि का साक्षी अक्षय वट के बारे में कहा जाता है कि यह सदियों पुराना है, वह अक्षय वट जहां भगवान राम, लक्ष्मण और जानकी मा के साथ रात्रि निवास किया था, प्रलय काल के पश्चात भी जो वृक्ष सदैव विद्यमान रहा है चारों युगों का वाहक वह अक्षय वट आज भी विद्यमान हैं।

मान्यता है कि वह प्रलय में भी नष्ट नहीं होता, लोग मानते हैं कि कोई और इसे जला नहीं सकता। आस्था है कि जब ब्रह्मा सृष्टि की रचना कर रहे थे तो उसके पत्तों पर स्वयं विष्णु लेटे थे।

यह अक्षय वट महज एक बरगद का वृक्ष नहीं बल्कि एक मोक्ष दाई वटवृक्ष है, इसी विशालकाय वृक्ष के नीचे भगवान राम और मां जानकी ने विश्राम किया था और इसकी विशालकाय छवि को देखकर मां जानकी ने इसे वरदान दिया कि जब तक मेरे पति राम का नाम इस संसार में रहेगा तब तक तुम अच्छे रहोगे।

अक्षय का अर्थ होता है कभी नष्ट ना होने वाला यानी हमेशा मौजूद रहने वाला वृक्ष वह है अक्षय वट,सूर्य और चंद्र की तरह ही चिर स्थाई है। कहा जाता है कि यह अक्षय वट कई किलोमीटर लंबा हुआ करता था कहते थे कि इसके वृष्टि तनाओ में इस वृक्ष में संत और महात्मा बैठकर वर्षों तक तक किया करते थे।

इसकी इतनी गहरी और विशाल शाखाएं होती थी कि बारिश की बूंदों को और सूरज की रसोइयों को नीचे तक नहीं आने देती थी । यह वटवृक्ष सनातन परंपरा को सजाने वाला है जीवंत रखने वाला है।

इस वटवृक्ष के नीचे धर्मशाला हुआ करती थी जिस में आने वाले श्रद्धालु विश्राम किया करते थे समय के साथ इसमें बदलाव हुआ और अब यह एक आम वृक्ष के तौर पर दिखाई देता है लेकिन सदियों सदियों से विराजमान है।

अकबर के किले पर सेना ने अपना ऑर्डिनेंस डिपो बना रखा था जिसके चलते अक्षय वट को आम आदमी के दर्शन के लिए बंद कर दिया गया था | हर हिन्दू श्रद्धालु के लिए अक्षयवट अहम है | धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़ इस वृक्ष के दर्शन करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है |

प्रयाग महात्मा पद्मा स्कंद पुराण में अक्षय वट के दर्शन को मोक्ष का माध्यम बताया गया है यह भगवान विष्णु का साक्षात विग्रह माना जाता है यही कारण है कि सनातन धर्म में यह सबसे पवित्र और पूजनीय वृक्ष है,यही वजह है कि इसका अस्तित्व मिटाने के लिए मुगल काल में कई बार प्रयास किए गए।

अकबर ने यमुना किनारे किला बनवाने के लिए 1574 में नींव रखी तो अच्छे वट का स्वरूप काफी विराट था उसके आसपास शर्त एवं अनेक जीव जंतुओं का वास था इसी की वजह से अक्षयवट को काटने का निर्णय हुआ उसे जड़ से काट कर उसमें जलसा दवा रखा गया यह प्रक्रिया 23 बार की गई।

लेकिन अक्षयवट को नष्ट करने में विफल रहे, काटने व जलाने के चंद माह बाद वह पुनः अपने पुराने स्वरूप में आ जाता था। इस से हारकर अक्षय वट स्थल को बंद करने का निर्णय हुआ जिसके लिए एक विशाल घेरा बनाया गया और उसमें किसी को भी जाने की अनुमति नहीं थी। तब से अक्षय वट कैद है।

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देश के आजाद होने के बाद भी हिंदू श्रद्धालु इस के दर्शन करने से वंचित रहें क्योंकि आजाद होने के बाद सेना ने इस किले को अपने हैंड वर्क कर लिया और उसके बाद आम लोगों के लिए इसके दर्शन दुर्लभ हो गए महज चुनिंदा लोग ही अक्षयवट के दर्शन पूजन कर पाते थे।

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