पीएमओ के पत्र से भी नहीं हिली अवैध निर्माण की नींव

अवैध निर्माण
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देहरादून। दून का एक तीन मंजिला अवैध निर्माण पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) के पत्र पर भी भारी पड़ता दिख रहा है। अवैध निर्माण पर पूर्व में सीलिंग और ध्वस्तीकरण के आदेश के बाद अब पीएमओ से भी इस पर कार्रवाई के निर्देश मिल चुके हैं, मगर एमडीडीए अधिकारी जाने किस डर से हाथ डालने से बच रहे हैं।

यह अवैध निर्माण रेसकोर्स में स्थित है और इस भवन का नक्शा स्वीकृत न होने की दशा में दो बार निरस्त किया जा चुका है। अवैध निर्माण की एक शिकायत पर एमडीडीए के इसके चालान करने और मामले की सुनवाई लंबित होने के दौरान ही भूतल में दो दुकान और एक गोदाम का भी निर्माण कर दिया गया।

एमडीडीए ने अवैध निर्माण पर कार्रवाई की पहली कोशिश चार अगस्त 2016 को सीलिंग आदेश जारी कर की थी। इस आदेश के खिलाफ तब निर्माणकर्ता मंडलायुक्त कोर्ट चले गए थे और यहां से एमडीडीए को गुणदोष के आधार पर मामले के निस्तारण के आदेश जारी किए गए थे। इस बीच निर्माणकर्ता ने कंपाउंडिंग मैप भी दाखिल किया, लेकिन निर्माण की कंपाउंडिंग नहीं हो पाई।

इसके बाद एमडीडीए ने आठ मार्च 2017 को दोबारा अवैध निर्माण को सील करने के आदेश जारी किए। इस आदेश के खिलाफ दोबारा निर्माणकर्ता मंडलायुक्त कोर्ट में गए और इस बार कोर्ट ने भी माना कि निर्माण अवैध है। साथ ही कहा कि भवन का जो भाग कंपाउंडिंग के योग्य है, उसे कंपाउंड कर शेष भाग को ध्वस्त कर दिया जाए।

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मंडलायुक्त कोर्ट में केस के निस्तारण के बाद भी अवैध निर्माण के जस के तस खड़े रहने पर यह प्रकरण उत्तराखंड आवास एवं नगर विकास प्राधिकरण (उडा) के समक्ष भी उठा। यहां से भी अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का निर्णय दिया गया। गंभीर यह कि इसके बाद भी एमडीडीए अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का साहस नहीं जुटा पाया। मई माह में अवैध निर्माण की शिकायत पीएमओ से भी की गई। पीएमओ ने मुख्य सचिव को शिकायती पत्र भेजकर उचित कार्रवाई के निर्देश दिए। इस स्तर से भी प्रकरण एमडीडीए को भेजा चुका है, लेकिन अवैध निर्माण की पूर्व की भांति खड़ा है।

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