अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में भारत सरकार को लगा बड़ा झटका, वोडाफोन टैक्स विवाद में मिली हार

बीते शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में भारत सरकार को बड़ा झटका लगा. दरअसल, करीब 13 साल से चल रहे 20 हजार करोड़ से अधिक के वोडाफोन टैक्स विवाद में भारत सरकार को हार मिली है. अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाते हुए कहा कि भारत की पिछली तिथि से टैक्स की मांग करना द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते के तहत निष्पक्ष व्यवहार के खिलाफ है. आपको बता दें कि वोडाफोन ब्रिटेन की टेलीकॉम कंपनी है, जो फिलहाल आइ​डिया के साथ गठजोड़ कर भारत में ऑपरेट कर रही है.

बहरहाल, फैसले की जानकारी मिलने के बाद भारत सरकार ने कहा है कि वह मध्यस्थता अदालत के फैसले का अध्ययन करेगी और उसके बाद ही कोई निर्णय लेगी.  भारत सरकार की ओर से कहा गया, ‘‘सरकार मामले में निर्णय और सभी पहलुओं का अपने वकीलों के साथ विचार-विमर्श कर अध्ययन करेगी. इसके बाद उपयुक्त फैसला लेगी.’’ 

2007 से चल रहा था मामला
इस मामले की शुरुआत साल 2007 में हुई थी. ये वही साल था जब वोडाफोन की भारत में एंट्री हुई. इस साल वोडाफोन ने भारत में काम करने वाली हचिंसन एस्सार (जिसे हच के नाम से जाना जाता था ) की 67 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पूंजीगत लाभ को आधार बनाते हुए कंपनी से टैक्स भरने की मांग की थी जिसे कंपनी ने चुकाने से मना कर दिया. कंपनी का तर्क था कि अधिग्रहण टैक्स के दायरे में ही नहीं आता है क्योंकि इस मामले में पूरा वित्तीय लेन-देन भारत में नहीं हुआ है.

वहीं इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का कहना था कि वोडाफोन ने वैसी संपत्ति का अधिग्रहण किया जो भारत में मौजूद थी. ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो यहां भी वोडाफोन को जीत मिली. इस फैसले के बाद तब के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सदन में नियम को बदलते हुए पूर्व बकाया टैक्स की मांग की थी. इसके बाद वोडाफोन ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया. इस मामले की लंबी सुनवाई के बाद अब एक बार फिर वोडाफोन के पक्ष में फैसला आया है.

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