
नई दिल्ली। जैसे-जैसे लोकसभा 2019 का चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। NDA के कई सहयोगियों का विद्रोह तो बीजेपी झेल ही रही थी लेकिन अब उसके एक और फायरब्रांड माने जाने वाले युवा नेता और भाजपा सांसद वरुण गाँधी ने किसानों के मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी को ऐना दिखाया है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी किसानों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार घेरते रहे हैं। जिससे भाजपा बैकफुट पर है। ऐसे में भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी अपने भाई राहुल गांधी के सुर में सुर मिलाते हुये कहा कि वर्ष 1952 से लेकर 2019 तक देश के 100 उद्योगपतियों को जितना पैसा दिया गया, उस रकम का केवल 17 फीसदी धन ही केंद्र और राज्य सरकारों से किसानों को आर्थिक सहायता राशि के तौर पर अब तक मिला है। इससे ज्यादा शर्मनाक आंकड़ा कुछ नहीं हो सकता है।

इंडिया डायलॉग कार्यक्रम को संबोधित करते हुये बीजेपी नेता वरुण गांधी ने देश के किसानों की हालत पर चिंता जताई। वरुण गाँधी ने कहा कि देश में किसानों को अधिकतर योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। देश में जब भी किसानों को आर्थिक सहायता देने की बात आती है तो हाहाकार मच जाता है।
वरुण गाँधी ने कहा कि वर्ष 1952 से लेकर 2019 तक देश के 100 उद्योगपतियों को जितना पैसा दिया गया, उस रकम का केवल 17 फीसद धन ही केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किसानों को अब तक दिया गया, यानी देश की 70 फीसदी आबादी को बीते 67 सालों में जितनी आर्थिक मदद राज्य और केंद्र सरकारों ने मिलकर दी है, उससे कई गुना ज्यादा पैसा केवल 100 धनी परिवारों को दे दिया गया।
वरुण गांधी ने कहा कि देश के किसानों की ऐसी हालत क्यों है? इसे समझने के लिये मैं बताता हूँ कि देश में होने वाले कुल फल उत्पादन का 56 प्रतिशत शुरुआती 96 घण्टे में अच्छी कोल्ड स्टोरेज व्यवस्था के अभाव में सड़ जाता है। अकेले उत्तर प्रदेश में हर साल 2000 टन उत्पादन होता है और यह बीते 15 साल से हो रहा है। मगर राज्य में कुल कोल्ड स्टोरेज भंडारण क्षमता 70 से 100 टन है जिसका फायदा केवल बड़े किसान ही उठा पाते हैं।
बीजेपी सांसद ने कहा कि “क्या आप जानते हैं कि भारत की मंडियों में किसानों के लिये अपने उत्पाद बेचने की खातिर इंतज़ार का औसत समय 1.6 दिन है। जब उसे इतना इंतजार करना पड़ता है तो वो कई बार मजबूरन अपना उत्पाद औने पौने दाम पर बेच देता है।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त देश में 1947 से बंटाईदारी अवैध है, लेकिन बिहार में 60 प्रतिशत, झारखंड में 70%, यूपी में 50%, एमपी में 60% किसान बंटाई की ज़मीन पर खेती करते हैं और सीमांत किसान कहलाते हैं। उसे बैंकों से कर्ज भी नहीं मिलता और स्थानीय महाजन से उसको 40 फीसदी की दर से कर्ज लेने की मजबूरी होती है। इसलिये किसानों के नाम पर आंसू मत बहाइये बल्कि रणनीतिक सुधार के लिये काम करिये।
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गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी देश के किसानों की कर्जमाफी को लेकर लगातार मोदी सरकार पर हमले करते रहे हैं। राहुल का आरोप है कि मोदी सरकार उद्योगपतियों का कर्जमाफी तो करती है, लेकिन किसानों की कर्जमाफी नहीं करती है। कांग्रेस ने हाल ही में हुई विधानसभा चुनाव में कर्जमाफी को एक मुद्दा बनाया था जिसका उसे फायदा भी मिला।





